किसानों को लगता है कि फसल की अच्छी पैदावार खेत की जुताई और खाद के उपयोग पर निर्भर है. अगर हम आपसे कहें कि बिना खेत की जुताई और खाद के भी फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, तो शायद इस बात पर कोई किसान सहज विश्वास नहीं कर पाएगा.
मगर ऐसा संभव हो पाया है. जी हां, बीज बचाओ आंदोलन के संयोजक विजय जड़धारी ने इस बात को सच साबित किया है. उन्होंने खेत में बिना हल चलाए गेहूं की फसल उगाई है. बता दे कि उत्तराखंड में यह पहला प्रयोग है, जिसको जीरो बजट खेती का नाम दिया गया है.
बिना जुताई खड़ी की गेहूं की फसल
इस साल टिहरी जिले के ग्राम चंबा निवासी विजय जड़धारी ने अपने खेतों में एक नया प्रयोग किया है. किसान ने खेती की जुताई किए बिना गेहूं की फसल उगाई है. इस वक्त किसान की फसल पककर तैयार हो चुकी है और जल्द ही फसल की कटाई की जाएगी. बता दें कि किसान ने पिछले साल धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई की थी. इसके बाद खेतों को धान के पराली से ढक दिया.
खास बात है कि किसान ने अपने खेतों की जुताई ही नहीं की है. इसके कुछ दिन बाद खेतों में पड़ी धान की पराली सड़ गई, साथ ही गेहूं अंकुरित होने लगे. किसान ने लगभग 10800 वर्ग फीट में गेंहू की फसल उगाई है. वह अन्य किसानों को इस तकनीक से गेहूं की खेती करना सिखा रहे हैं. खास बात है कि इस तरह की खेती में मौसम का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा है.
इस तरह की बिना जुताई किए खेती
किसान ने जुताई किए बिना खेत में बीज की बुवाई कर दी. इसके बाद धान की पराली से खेत को पूरी तरह से ढक दिया. कुछ दिन बाद खेत में पराली सड़ गई, साथ ही गेहूं अंकुरित होने लगे. बता दें कि धान की सड़ी हुई पराली खाद का काम करती है. इसके कुछ दिन बाद किसान के खेत में गेहूं की फसल तैयार हो गई. माना जा रहा है कि किसान ने सबसे पहले जिले में यह तकनीक अपनाई है, जो कि सफल साबित हो रही है. किसान ने बिना लागत गेहूं की खेती की है. यह पहाड़ी क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो सकता है.