आईआईटी-कानपुर (IIT Kanpur) के ऑर्गेनिक साइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग डिवीजन (Organic Sciences and Bioengineering Division) ने किसानों की फसलों के लिए कवच (Crop Shield) तैयार किया है. जी हां, डॉ संतोष मिश्रा और पीयूष कुमार के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक दल ने नैनोपार्टिकल-आधारित बायो-डिग्रेडेबल-कार्बोनॉइड-मेटाबोलाइट (Nanoparticle based Bio-degradable Carbonoid Metabolite) विकसित किया है जो कृषि फसलों की ढाल (Agricultural Crops Shield) बन सकता है.
नावेल नैनोपार्टिकल्स की ख़ासियत (Characteristics of Novel Nanoparticles)
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यह तकनीक एक सुरक्षात्मक जैविक उत्पाद (Protective Biological Products) है जिसका उपयोग कृषि क्षेत्र में कई बीमारियों के खिलाफ फसल सुरक्षा (Crop Protection) को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है.
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खासकर ये तकनीक चावल की फसलों (Rice Crops) के लिए अति उत्तम मानी जा रही है.
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इसे मेटाबोलाइट के साथ बायोडिग्रेडेबल नैनो पार्टिकल सिस्टम (Biodegradable Nano Particle System) के रूप में विकसित किया गया है.
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मेटाबोलाइट (Metabolite) को एक कुशल प्राकृतिक रोगाणुरोधी एजेंट (Natural Antimicrobial Agent) के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
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इसमें फसल की बीमारियों और मिट्टी के संवर्धन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए कार्बनयुक्त डिग्रेडेबल (Carbonized Degradable) शामिल है.
मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया परीक्षण (Testing done to increase soil quality)
खास बात यह है कि पिछले 12 महीनों में संस्थान द्वारा दायर 107 पेटेंटों में से एक आविष्कार भू-परिक्षण मिट्टी परीक्षण प्रणाली (Soil Testing System) थी. और इस प्रयोगशाला में मिट्टी के परीक्षण के लिए आवश्यक समय और किसानों की परेशानी को काफी कम करने की पुष्टि की है.
कैसे बढ़ेगी किसानों की उपज (How will farmers' yield increase)
इसी संदर्भ में आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर (Professor Abhay Karandikar, Director, IIT Kanpur) ने कहा कि "हमारे संस्थान ने किसानों की सहायता के लिए कई क्रांतिकारी उच्च तकनीकी पहल की हैं. चूंकि किसानों द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दे कई गुना हैं, हमारे प्रयास भी खेती के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का मुकाबला करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, ऐसे आविष्कार से फसल के संक्रमण की आशंका कम होगी और फसल की उपज में वृद्धि होगी".
रिसर्च टीम ने किया कमाल (Research team did wonders)
रिसर्च टीम में आईसीएआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस एनालिसिस के डॉ सी कन्नन और दिव्या मिश्रा के साथ हैदराबाद कॉलेज ऑफ केमिस्ट्री के एमओ मंडल के शोधकर्ता भी शामिल हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पिछले साल से अब तक आईआईटी-कानपुर का कृषि क्षेत्र में यह दूसरा नवाचार (Innovation in Agriculture) है.