जल सरंक्षण एक मुद्दा लगता है, लेकिन यह भी सच है कि जमीन में पानी का स्तर गिरता जा रहा है. तालाब सूख रहे हैं. दूसरी और मानसून देरी से आने के आसार बन रहे हैं. वर्षा की संभावना तो मानसून में होती ही है, उसी में जल को कैसे सरंक्षित किया जाए यही आजकल का ताज़ा मुद्दा है.
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री ने भी अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में रेडियो से भारत के सभी श्रोताओं से कहा कि वर्षा जल कैसे सरंक्षित करें और थोड़े दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्य मंत्रियों से भी अपने- अपने राज्यों में पानी को सरंक्षित करने पर बल दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संरक्षण के लिए देशभर के ग्राम प्रधानों और मुखिया लोगों को निजी तौर पर पत्र लिखा है. उन्होंने इस मानसून सीजन में ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल को संग्रहित करने की अपील की है. ताकि गर्मी के दौरान पैदा होने वाले जलसंकट से निपटा जा सके. प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर वाले यह पत्र कलेक्टर खुद गांव जाकर मुखिया लोगों को दे रहे हैं.
1. मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पास पूर्वी उप्र के 637 गांवों के मुखिया लोगों को प्रधानमंत्री का पत्र मिला है. जो ग्रामीण इलाकों में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसमें कहा गया है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को बारिश का पानी संग्रहित करने के लिए प्रेरित करें.
2. प्रधानमंत्री ने लिखा- ''प्रिय सरपंच जी, नमस्कार. मैं आशा करता हूं कि आप और आपकी पंचायत में रहने वाले मेरे सारे भाई और बहन की सेहत अच्छी होगी. मानसून आने को है. हम सौभाग्यशाली है कि भगवान हमें बारिश के पानी के रूप में बहुत सारा जल देते हैं. हम सभी को मिलकर इसे सहेजने की कोशिश करना चाहिए.''
3. ''आपसे निवेदन है कि पानी को कैसे संग्रहित किया जाए, ग्राम सभाओं में इस विषय पर चर्चा करें. मुझे पूरा भरोसा है कि आप सभी बारिश के पानी की एक-एक बूंद को संग्रहित कर सकते हैं.''
4. सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि नीति आयोग की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री बारिश के पानी के संग्रहण के मुद्दे को विशेष रूप से उठाएंगे ताकि देश के बड़े हिस्से के जल संकट की समस्या से निपटा जा सके. जलशक्तिमंत्रालय ने जल संकट की स्थिति का आंकलन करने के लिए मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी.
5. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 'मन की बात' कार्यक्रम में जल संकट की समस्या से निपटने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें भारत के लोगों पर हमेशा से विश्वास था कि वे उन्हें एक बार फिर वापस लाएंगे. उन्होंने कहा कि पूरे देश में जल संकट से निपटने का कोई एक फ़ॉर्मूला नहीं हो सकता है. इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीके से प्रयास किये जा रहे हैं. लेकिन सबका लक्ष्य एक ही है और वह है पानी बचाना, जल संरक्षण
1- जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों का, स्वयं सेवी संस्थाओं का, और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर किसी का, उनकी जो जानकारी हो, उसे आप #JanShakti4JalShakti के साथ शेयर करें ताकि उनका एक डाटाबेस बनाया जा सके.
2- हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं. मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को शेयर करने का आग्रह करता हूं.
- मेरा पहला अनुरोध है – जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया. आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें. देशवासियों से मेरा दूसरा अनुरोध है. हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं. मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को शेयर करने का आग्रह करता हूं.
4 - जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है. इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे.
5- मेरे प्यारे देशवासियों, मुझे इस बात की ख़ुशी है कि हमारे देश के लोग उन मुद्दों के बारे में सोच रहे हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती है. जो भी पोरबंदर के कीर्ति मंदिर जायें वो उस पानी के टांके को जरुर देखें. 200 साल पुराने उस टांके में आज भी पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है, ऐसे कई प्रकार के प्रयोग हर जगह पर होंगे.
6- पंजाब में ड्रीनेज लाइंस को ठीक किया जा रहा है. इस प्रयास से वॉटर लॉगिंग की समस्या से छुटकारा मिलेगा.तेलंगाना के थिमाईपल्ली में टैंक के निर्माण से गांवों के लोगों की जिंदगी बदल रही है.राजस्थान के कबीरधाम में, खेतों में बनाए गए छोटे तालाबों से एक बड़ा बदलाव आया है.
7- देशभर में ऐसे कई सरपंच हैं, जिन्होंने जल संरक्षण का बीड़ा उठा लिया है. ऐसा लग रहा है कि गांव के लोग, अब अपने गाँव में, जैसे जल मंदिर बनाने के स्पर्धा में जुट गए हैं. सामूहिक प्रयास से बड़े सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं.
8- बिरसा मुंडा की धरती, जहां प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहना संस्कृति का हिस्सा है वहाँ के लोग, एक बार फिर जल संरक्षण के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं. प्रधानमंत्री ने सभी ग्राम प्रधानों एवं सरपंचों को उनकी इस सक्रियता के लिए उन्हें शुभकामनायें दी.