व्यावसायिक दृष्टिकोण हो या आपकी रुचि हो, काम वही करना चाहिए जो आप दिल से करना चाहते हैं। दरअसल फिर आप हर वक्त सिर्फ मंजिल को ही तलाशते हैं। इसलिए आपका दिल और दिमाग मंजिल के रास्ते पर आपको पहुंचाने के लिए सही तरीके से कार्य करते हैं। इस बीच यह कहानी एक युवा की है जो अपने घराने का व्यापार छोड़कर गोट फार्मिंग शुरु किया और सफलता प्राप्त की।
उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले विवेक ने अपने ट्रक ट्रांसपोर्ट के बिजनेस किया करते थे लेकिन उन्होंने बकरी पालन में रुचि दिखाते हुए इसके लिए 3 एकड़ जमीन पर फार्म बनाने का इरादा किया। विवेक ने बी.ए तक की पढ़ाई की है। बकरीपालन के लिए 2014 में केंद्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र से राष्ट्रीय बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम से 10 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अब संस्थान में वर्ष में 6 बार आयोजित किया जाता है।
उन्होंने बरबरी नस्ल से बकरीपालन करने का इरादा किया और इनकी शुद्ध नस्ल बढ़ाना चाहते थे। शुरुआत में उन्होंने फार्म स्थापित करने के लिए 29 लाख रुपए खर्च किए। लेकिन बकरियों की नस्ल व आयु के अनुसार अलग-अलग टिन शेड बनवाए। इस बीच फार्म में अनाज भंडार, चारा, डिपिंग टैंक व चारा उत्पादन के लिए रकबा भी निर्धारित किया गया। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने बकरी की विभिन्न नस्लों की संख्या बढ़ा दी। अब उनके फार्म पर बकरी अन्य नस्लों की अच्छी खासी संख्या हो गई। वर्तमान में उनके पास कुल 422 बकरियां हैं।
जिसमें बरबरी नस्ल की संख्या (202), जमुनापरी ( 62), जखराना( 39), सिरोही (49) है। इसके अतिरिक्त उनके पास सोजात, मेवाती,तोतापरी, नागफनी आदि भी नस्ल की बकरी हैं। इन सभी बकरियों को रोगों से बचाने के लिए पी.पी.आर, एफएमडी, ई.टी, एच.एस वैक्सीनीकरण कराया गया है। अब वह प्रत्येक वर्ष लगभग 300 बकरी बेचते हैं। एक साल की उम्र वाली बकरी जो बरबरी, जमुनापरी, जखराना, सिरोही 6500 से 10500 रुपए मूल्य पर बेचते हैं। जबकि बकरा 8000 से 20,000 रुपए पर बेचते हैं। तो वहीं बधिया बकरा(18 महीने) 10000 से 30000 रुपए मूल्य पर बेचते हैं.
इस बीच वह प्रति वर्ष इन नस्लों को बेचकर 1 से 1.2 लाख रुपए कमाते हैं। इस दौरान उन्होंने अपने फार्म पर जैविक विधि सब्जी की खेती करना प्रारंभ किया है। उनके गोट फार्म को वरीयता के आधार पर सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के अन्तर्गत रखा गया है।