रासायनिक खाद की वजह से पूरी तरह से बदहाल जमीन को प्राकृतिक उपायों से समृद्ध बनाया जा सकता है. इसमें शुरूआत में कई तरह की समस्याएं होती है. क्योंकि रासायनिक खादों से ठोस हुई धरती की ऊपरी परत को गोबर और पत्तों की खाद के सहारे मुलायम बनाना काफी कठिन होता है, बाद में इसके बेहतर परिणाम सामने आए है. किसानों को रासायनिक उर्वरक से हटाकर कुदरती उपायों से खेती करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने खुद ही ग्राहक बनने का फैसला किया है.
किसान से आर्गेनिक प्रोडक्ट खरीदेगी
उत्तराखंड की सरकार राज्य के प्राकृतिक वातावरण को ध्यान में रखते हुए आर्गेनिक फार्मिग को बढ़ाने के लिये लागतार प्रयासों में जुटी है. सरकार चाहती है कि किसान पूरी तरह से आर्गेनिक उत्पादन को तैयार कर ले ताकि ज्यादा से ज्यादा कीमत बड़े बाजारों में मिल सकें. इसके लिए उत्तराखंड कृषि मंडी परिषद को अधिकृत करने का कार्य किया गया है. राज्य सरकार ने इसके लिए एक फंड की भी वयवस्था की थी. जिसके साथ ही कृषि मंडियो में किसानों के उत्पादन सीधे खरीदे जा सकते है.
बाजार में आर्गेनिक उत्पादों की मांग ज्यादा
उत्तराखंड के कृषि मंत्री उनीयाल ने बताया कि सामान्य उत्पादमों के मुकाबले आर्गेनिक उत्पादों की कीमत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कई गुना तक मिल जाती है. उत्तराखंड में पहले से ही जैविक खेती होती रही है. अगर इसका प्रमाणीकरण हो तो अंतरारष्ट्रीय बाजर में इसके उत्पादों को आसानी से ऊंची कीमत पर बेचा जा सकता है.
आर्गेनिक खेती वह होती है जिसमें स्वच्छ प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हुए , मृदा, जल और वायु को दूषित किए बिना ही दीर्घकालीन और स्थिर उत्पादन प्राप्त कर सकते है. इसमें मिट्टी को जीवित माध्यम माना जाता है जिसमें सूक्ष्म जीवों जैसे कि रायजोवियम, ओजोटोबैक्टर, माइकोराइजाला एवं अन्य जीव जो कि मिट्टी में उपस्थित रहते है. उनकी जैविक क्रियाओं को किया जा सकता है., साथ ही आने वाले समय में उनकी जैविक प्रक्रियाओं को बढ़ाने और दोहन के लिए कार्बनिक और प्राकृतिक खादों का प्रयोग किया जाता है.