खेती को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें निरंतर किसानों का समर्थन कर रही हैं. ऐसे में एक ख़बर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से भी आ रही है जहां काला नमक चावल (Kala Namak Rice) को लेकर फैसला लिया गया है. दरअसल, राज्य सरकार द्वारा सिद्धार्थ नगर (Siddhart Nagar) के प्रसिद्ध काला नमक चावल के उत्पादन और ब्रांडिंग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने का ऐलान किया गया है.
बुद्धा चावल की कहां होती है खेती (Where is Buddha rice cultivated)
काला नमक चावल को " बुद्धा चावल" (Buddha Rice) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसकी खेती लगभग 600 BCE पूर्व गौतम बुद्ध के समय में की गई थी. Kala Namak Chawal सिद्धार्थ नगर के तराई क्षेत्र और पूर्वी उत्तर प्रदेश के दस पड़ोसी जिलों में उगाया जाता है. बहुत लोगों के लिए काला नमक चावल एक नया नाम भी होगा लेकिन यह उत्तर प्रदेश की शोभा है.
12 करोड़ रुपये की राशि की जारी (Release of an amount of Rs 12 crore)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि काला नमक चावल एक सुगंधित चावल (Fragrant Rice) की किस्म है जिसे आम तौर पर किसानों को चावल की अन्य किस्मों की तुलना में बेहतर कीमत की पेशकश की जाती है. उत्तर प्रदेश सरकार एक जिला एक उत्पाद (One District, One Product) के तहत काला नमक चावल को बढ़ावा दे रही है और इसके लिए 12 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी है.
किसानों के लिए काला नामक चावल के फायदे (Benefits of Kala Rice Namak for farmers)
जैविक खेती (Organic Farming): काला नमक चावल आमतौर पर उर्वरक, कीटनाशकों की मदद के बिना उगाया जाता है, और इसलिए यह जैविक खेती के लिए उपयुक्त है.
कम लागत (Low Cost): चूंकि उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न के बराबर है, इसलिए लागत कम हो जाती है और यह किसान के लिए किफायती हो जाता है.
बेहतर उपज (Better Yield): यह चावल किसी भी किस्म के चावल की तुलना में उसी क्षेत्र में 40-50% अधिक उपज प्रदान करता है.
रोग प्रतिरोधी (Disease Resistant): सबसे महत्वपूर्ण कारक यह है कि चावल कई रोगों के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है जो फसल को बहुत कम उगाते हुए किसान के लिए जोखिम कारक बनाता है.
भारत सरकार ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के माध्यम से काला नमक चावल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तरह की पहल की हैं. इसमें किसानों और हितधारकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम, कृषि-निर्यात खेती, 'काला नमक महोत्सव' का आयोजन, किसान उत्पादक संगठनों (FPO), निर्यातकों और किसानों के साथ समन्वय शामिल है.
खास बात यह है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRR), हैदराबाद, राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (NRRI), कटक और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली काला नमक चावल पर उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से अनुसंधान और विकास कर रहे हैं.
बता दें कि धान का उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के 21 जिलों को NFSM-चावल कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है. NFSM के तहत, किसानों को कृषि पद्धतियों के बेहतर पैकेज पर क्लस्टर प्रदर्शन, फसल प्रणाली पर प्रदर्शन, उच्च उपज देने वाली किस्मों के बीजों का वितरण, उन्नत कृषि मशीनरी/उपकरण, एकीकृत पोषक तत्व, कीट प्रबंधन तकनीक, प्रसंस्करण और कटाई के बाद के उपकरण, किसानों को फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण आदि के माध्यम से सहायता दी जाती है.