यह बहुत ही लाजवाब स्थिति है कि जहां एक तरफ भारत में बनी वैक्सीन की उपोयगिता पर लोग सवाल उठा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका भारत में बनी वैक्सीन की तारीफ करते नहीं थक रहा है. भारत की वैक्सीन के गुणगाण करते हुए जिस तरह की शब्दों की धारा अमेरिकी चिकित्सक विशेषज्ञ की जुबां से निकल रहे हैं.
वो यकीनन काबिल--ए-तारीफ है, लेकिन अब ऐसे में सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर जब अमेरिका भी भारत में बनी वैक्सीन का कायल हो चुका है, तो फिर कुछेक लोग किस आधार पर हमारे वैक्सीन की उपोयिगकता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है? क्या यह महज एक सियासत चमकाने का बहाना? या फिर कुछ और, यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में छुपा एक अनुउत्तरित प्रश्न है.
यहां हम आपको बताते चले कि अमेरिका के राष्ट्रपति के चीफ मेडिकल एडवाइजर एंथनी फाउंची ने कहा कि भारत में बनी वैक्सीन कोरोना मरीजों पर कारगर साबित हो सकती है. खैर, अगर उन्होंने भारत में बनी वैक्सीन तारीफ ही की होती है, तो मसला कुछ और होता. उन्होंने भारत में बनी वैक्सीन कोवीशिल्ड को लेकर कहा कि यह कोरोना के 617 वेरिएंट को मानव शरीर को क्षति पहुंचाने से पहले ही प्रभावहीन कर सकता है.
अब इनका यह बयान पढ़कर आपको ऐसा लग रहा होगा कि भला जब भारत में बनी वैक्सीन इतनी ही ज्यादा कारगर है, तो फिर यहां कोरोना इतना ज्यादा उत्पात क्यों मचा रहा है, लेकिन फाउची ने इस प्रशन को यह कहकर सिरे से खारिज कर दिया कि अगर इस मुश्किल दौर में भारत के लोग इस वैक्सीन का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल करें, तो यह कारगर साबित हो सकता है, और आपको पता ही है कि इस मुश्किल दौर में भी भारत में वैक्सीन लेने से गुरेज कर रहे हैं. उनके जेहन में इस बात को लेकर संशय है कि कहीं अगर उन्होंने इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया, तो कहीं उनकी स्थिति दुरूस्त होने की जगह दुरूह न हो जाए.
अमेरिकी चिकित्सक विशेषज्ञ ने कहा कि सार्स-कोव-2 के बी.1.617 स्वरूप पर टीकों के प्रभाव के आकलन से पता चलता है कि टीकाकरण के बाद संक्रमण होने पर बीमारी के लक्षण हल्के होते हैं. इस समय भारत डबल म्यूटेंट वाला वायरस भी मौजूद है. बेशक, यूं तो बेशुमार बयान खबरों की इस दुनिया में आते जाते रहते हैं, लेकिन मौजूदा समय में अमेरिकी चिकित्सक का यह बयान अभी खासा चर्चा में बना हुआ है. वो भी ऐसे आलम में जहां एक ओर कोरोना वैक्सीन की उपोयगिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आगामी 2 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का मुफ्त में टीकाकरण शुरू होने जा रहा है. भारत में सर्वाधिक संख्या युवाओं की है और कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा युवा ही काल के गाल में समा रहे हैं. हालांकि, पहली लहर में कोरोना ने सबसे ज्यादा बुजुर्गों को अपनी गिरफ्त में लिया था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर उन युवाओं को भी नहीं बख्श रही है, जिन्हें कल तक अपनी इम्यूनिटी पर बड़ा नाज था, लेकिन मुश्किल की इस घड़ी में यह मुनासिब रहेगा कि अब आवाजाही के सिलसिले को विराम देकर कुछ पल सुकून से बैठकर स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए सभी दिशानिर्देशों का अनुपालन करें.