आवारा पशुओं को कंट्रोल करने के लिए यूपी सरकार एक योजना ला रही है जिससे आप भी फायदा उठा सकते हैं. इस योजना के तहत जिन गौवंशों का कोई मालिक नहीं अगर आप उनको पालते हैं तो योगी सरकार (Yogi Government) आपको उनकी देखरेख के लिए खर्च देगी. अगर कोई किसान या पशुपालक बिना मालिक वाले आवार गौवंश को पालता है तो उसे यूपी सरकार 900 रुपए प्रति माह देने जा रही है. यह योजना अब तैयार कर ली गई है.इस योजना के तहत इच्छुक किसानों को प्रति गौवंश900 रुपए प्रतिमाह मिलेंगे. इतना ही नहीं कैसे इन गौवंश से अतिरिक्त आय प्राप्त की जाए, इस बारे में भीजागरूक अभियान चलाया जाएगा.
इससे पहले राज्य में ऐसे आवारा गौवंश के लिए सरकार को जगह-जगह भरण-पोषण और रखने के लिए गोशाला या गो-आश्रय स्थल की स्थापना भी करवानी पड़ी, लेकिन इन गौशाला या आश्रय स्थल में गौवंश की अव्यवस्था और गौवंश की मृत्यु की खबरें आती रहती हैं. इन गौशालाओं पर पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई की थीऔरइस समस्या के समाधान के लिए किसानों को सीधे शामिल करते हुए योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया था. यह तय किया गया है कि जो भी किसान इन गौवंश को पालना चाहते हैं, उन्हें प्रति गौवंश900 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे.यदि एक किसान 10गौवंश पालता है तो उसे 9000रुपएहर महीने मिलेंगे.
अतिरिक्त आय का स्त्रोत बन सकती हैं ये गौवंश (These cattle can become a source of additional income)
सरकार का मानना है कि अगर इन आवारागौवंश को अच्छा और संतुलित भोजन खिला कर तैयार किया जाये तो वो अतिरिक्त आए का स्त्रोत बन सकते हैं. गौरतलब है कि इन से अच्छी मात्रा में दूध और दूसरे उत्पाद जैसे दही, घी, पनीर प्राप्त कर एक्सट्रा मुनाफा भी कमाया जा सकता है. अगर पशु दूध उत्पादन की क्षमता खो चुका है फिर भी इन पशु के गौमूत्र से गोनाइल, गोबर से गोबर खाद आदि प्राप्त कर आमदनी मिल सकती है. बजट के आवंटन होने के बाद इस योजना पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे औरकेंद्र सरकार से भी मदद प्राप्त करने पर विचार चल रहा है.
किसानों की क्या है राय?
900 रुपए प्रति माह यानि 30 रुपए प्रतिदिन एक गौवंश पर खर्च आसानी से हो जाता है बल्कि अतिरिक्त खर्चा भी करना पड़ता है. किसानों से इस विषय पर चर्चा की गई तो पता चला कि यह पहल अच्छी है मगर प्रति गौवंश30 रुपए प्रतिदिन की व्यवस्था बहुत कम है.प्रति स्वस्थ गौवंश के चारे पर 1800 से 2000 रुपए महीने का खर्च आता है.अगरइस योजना को केंद्र सरकार की ‘गोवर्धन योजना’ से जोड़ दिया जाए तो किसान स्वरोजगारी भी बन सकेगा और इस योजना का आकर्षण कई गुना बढ़ जाएगा.