किसानों और पशुपालकों को खेती के साथ-साथ पशुपालन की तरफ अपनी रूचि दिखानी चाहिए, ताकि वह इससे अतिरिक्त लाभ कमा सकें. पशुपालन (Animal Husbandry) में गाय पालन का एक प्रमुख स्थान है. आज तमाम किसान व पशुपालक गाय पालन (Gau Seva) कर अपनी जीविका चला रहे हैं. गाय पालन के क्षेत्र को बढ़ावा और इसके विकास के लिए केंद्र व राज्य सरकारें योजनाएं चलाती रहती है.
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के डेयरी विकास, पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी (Minister of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying Mr. Lakshmi Narayan Chaudhary) ने एक अहम योजना शुरू की है. इसके तहत गंभीर बीमारियों से पीड़ित गायों के लिए तत्कालीन एम्बुलेंस सेवा प्रदान की जाएगी.
515 एम्बुलेंस की नई योजना शुरू (New scheme of 515 ambulance started)
मंत्री ने कहा है कि 515 एम्बुलेंस इस नई योजना के लिए तैयार हैं. यह शायद देश में पहली ऐसी योजना है, जो पशुपालन को मद्देनज़र रखते हुए बनाई गयी है. इस सेवा के माध्यम से गायों को कम से कम समय में पशु चिकित्सालय (Animal Hospital) ले जाया जाएगा. राज्य सरकार गायों की नस्लों के सुधार के लिए पशुपालकों को एक प्रणाली भी प्रदान करेगी. सभी एंबुलेंस में एक पशुचिकित्सक और पशु चिकित्सा स्टाफ के दो सदस्य होंगे, जिनकी सेवा 24 घंटे उपलब्ध होगी. सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए सरकार जल्द ही एक कॉल सेंटर स्थापित करेगी.
कॉल सेंटर होगा स्थापित (Call center will be set up)
आपको बता दें कि दिसंबर तक शुरू होने वाली इस योजना के तहत शिकायत प्राप्त करने के लिए लखनऊ में एक कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा. इससे मुफ्त उच्च गुणवत्ता वाले वीर्य और भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के प्रावधान से राज्य के नस्ल सुधार कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा.
मंत्री के अनुसार, भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक राज्य में एक क्रांति होगी, क्योंकि यह बाँझ गायों को भी अधिक दूध देने वाले जानवरों में बदलने में सक्षम होगी. इससे आवारा पशुओं की समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी, क्योंकि गाय की देखभाल करने वाले प्रतिदिन कम से कम 20 लीटर दूध देने वाली गायों को छोड़ने से परहेज करेंगे.
यह पहल मथुरा सहित राज्य भर के 8 जिलों में एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू होगी. राज्य सरकार ने आवारा पशुओं को रखने के लिए राज्य के इतिहास में पहली बार गौशालाओं को नकद राशि प्रदान की है. मंत्री ने कहा कि राज्य में किसी भी पूर्व सरकार ने ऐसा कदम नहीं उठाया था.
गायों के संरक्षण और विकास के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (National Kamdhenu Commission for the Protection and Development of Cows)
गायों के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) की स्थापना की गई थी. आरकेए एक उच्च शक्ति वाला स्थायी निकाय है, जो आजीविका सृजन पर अधिक जोर देने के लिए नीतियां बनाने और पशु-संबंधित कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को निर्देशित करने के लिए कार्यरत है.
कितना हुआ असर? (How much was the effect?)
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना देश की मवेशी आबादी के संरक्षण और विकास के साथ-साथ स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण में योगदान दे रही है. इससे पशुधन क्षेत्र में अधिक वृद्धि होगी जो अधिक समावेशी है, जिससे महिलाओं के साथ-साथ छोटे और सीमांत किसानों को भी लाभ होगा.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग पशु चिकित्सा, पशु विज्ञान, या कृषि विश्वविद्यालयों के साथ-साथ केंद्र / राज्य सरकार के विभागों या संगठनों के सहयोग से गाय प्रजनन और पालन, जैविक खाद और बायोगैस के क्षेत्र में अनुसंधान पर काम कर रहा है.
यह देश में गाय संरक्षण और विकास कार्यक्रमों को नीतिगत ढांचा और दिशा भी प्रदान करेगा और गायों के कल्याण के संबंध में कानूनों के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा.