Himachal Pradesh: संयुक्त किसान मंच ने आज हिमाचल की सरकार को घेरने का फैसला लिया है. शिमला में सभी सेब बागवान मिलकर इस मुद्दे पर मीटिंग कर रहे हैं. इसमें यूनिवर्सल कार्टन अनिवार्य करने, एपल इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने, सेब की पैकेजिंग सामग्री पर GST कम करने, APMC तथा लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट लागू करने जैसे मुद्दों को लेकर चर्चा की जा रही है.
आपको बता दें, इससे पहले पूर्व की बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान बागवानों ने अपनी मांगों को लेकर दो महीने से अधिक समय तक आंदोलन किया था. अब यह सभी बागवान कांग्रेस सरकार पर मांगे पूरी करने को दबाव बनाएंगे. इस घेराव में संयुक्त किसान मंच के बैनर तले एक दर्जन से ज्यादा विभिन्न किसान-बागवान संगठन के पदाधिकारी लामबद्ध हो रहे हैं.
सेब उत्पादक संघ ठियोग के अध्यक्ष महेंद्र वर्मा ने बताया कि APMC एक्ट (हिमाचल प्रदेश कृषि एवं उद्यानिकी उपज विपणन (विकास एवं विनियमन) एक्ट 2005) लागू नहीं होने से बागवानों को मंडियों में सरेआम लूटा जा रहा है.
39 की उप धारा 19 में एक दिन में पेमेंट का प्रावधान
एपीएमसी एक्ट की धारा 39 की उप धारा 19 में किसानों की उपज बिकने के एक दिन के भीतर पेमेंट किये जाने का प्रावधान है. इस एक्ट के अनुसार, यदि कोई कमीशन एजेंट एक दिन में पेमेंट नहीं करता तो उस सूरत में एपीएमसी कमीशन एजेंट की फसल को जब्त करके उसकी ऑक्शन करा सकती है और उस ऑक्शन में मिलने वाले पैसे का भुगतान किसान को करने का प्रावधान है, पर इसकी सच्चाई यह है कि बागवानों के दो से तीन साल पहले के पेमेंट बकाया हैं.
दोगुनी मजदूरी
एपीएमसी एक्ट में 5 से 8 रुपए की मजदूरी दर तय की गई है, लेकिन प्रदेश की 90 फ़ीसदी मंडियों में तय दरों से ज्यादा मजदूरी काटी जा रही है. कई मंडियों में तो 15 से 30 रुपए भी मजदूरी काटी जा रही है. इससे बागवानों की गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा लेबर या और तमाम प्रकार के चार्जेस के नाम पर काट लिया जा रहा है.
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