पिछले कुछ दिनों से डीजल के दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिससे किसान, आम आदमी से लेकर मोटर मालिक बहुत परेशान हैं. इस समय किसान के खेतों में धान की रोपाई का काम चल रहा है, जिसके लिए खेतों में पानी की जरूरत पड़ती है. इसके लिए किसान दिन-रात पानी के लिए इंजन को चला रहे हैं. ऐसे में किसानों की आर्थिक लागत बढ़ना लाजमी है. इसी बीच एक किसान ने नई तकनीक का उपयोग किया है, जिससे खेतों में लगने वाली सिंचाई की लागत को कम किया जा सकता है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के झंझरा गांव में रहने वाले 42 वर्षीय किसान सर्वेश कुमार वर्मा ने एक नई तकनीक का ईजाद किया है. इस तकनीक को देखने के लिए गांव भर के लोग आ रहे हैं. जब एक छोटे से गांव में रहने वाला किसान डीजल के बढ़ते दामों से परेशान हो गया, तब उसने डीजल से चलने वाले पंपिंग सेट को एलपीजी गैस से चलाने की तकनीक को विकसित किया. इससे न सिर्फ पैसे की बचत होती है, बल्कि पंपिंग सेट से निकलने वाले धुंए से भी छुटकारा मिलता है.
क्या है नई तकनीक
किसान ने डीजल से चलने वाले पंपिंग सेट को एलपीजी गैस से चलाया है. इस पंपिंग सेट को एलपीजी गैस द्वारा आसानी से चलाया जा सकता है. जैसे एलपीजी गैस सिलेंडर में रेगुलेटर का उपयोग किया जाता है, वैसे ही गैस सिलेंडर में लगाकर पंपिंग सेट के स्लेटर में रेगुलेटर में लगे पाइप को लगाकर पंपिंग सेट चलाया जाता है. किसान का कहना है कि हर किसान इसका उपयोग करता है, तो देश का विकास अच्छी तरह हो पाएगा. किसान भाइयों के जीवन में खुशियां आएंगी. इसके साथ ही डीजल की बढ़ते दामों की समस्या से छुटकारा मिल पाएगा.
तकनीक की खासियत
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इस तकनीक से पंपिंग सेट से पानी निकलने में भी कोई कमी नहीं होती है.
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इसको सिलेंडर और पंपिंग सेट, दोनों जगह से तेज-धीमा और बंद किया जा सकता है.
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अगर पंपिंग सेट का डीजल खत्म हो जाए, तो पंपिंग सेट बंद नहीं होता है, क्योंकि यह गैस से चलता रहेगा.
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इस तकनीक द्वारा आसानी से खेती का काम किया जा सकता है.
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खेती में हो रही अच्छी बचत
किसान का कहना है कि पंपिंग सेट में 1 लीटर प्रति घंटा की दर से डीजल की खपत होती थी, जिसकी कीमत इन दिनों 73 रुपए प्रति लीटर चल रही है. मगर इस तकनीक की मदद से लगभग 20 रुपए के खर्च के हिसाब से प्रति घंटा की दर से 27 से 30 रुपए का खर्च ही आता है. इसमें डीजल की खपत 100 ग्राम प्रति घंटा 7 रुपए कीमत और एलपीजी गैस की 300 से 400 ग्राम लगती है. इस तरह लगभग 50 रुपए की बचत हो जाती है. किसान का कहना है कि गैस से चलाए जाने पर पंपिंग सेट धुंआ भी देना बंद कर देता है. इससे प्रदूषण का खतरा कम होता है.
अन्य जानकारी
आपको बता दें कि किसान सर्वेश कुमार वर्मा ने 12वीं पास हैं. वह 2 भाई हैं. पिता की मृत्यु के बाद घर की सारी ज़िम्मेदारी उन पर आ गई. उनके पास लगभग 5 एकड़ जमीन है, जिस पर वह खेती करके अपने 2 बच्चों को पढ़ा रहे हैं. इसके साथ ही परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं. उनका पारिवारिक जीवन बड़ा ही सादा और सरल है. बता दें कि इस तकनीक को विकसित करने के बाद पूरे गांव में किसान की चर्चा हो रही है. इसका उपयोग करके महंगाई से राहत मिल सकती है.
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