यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए छात्रों को खुशखबरी दी है. दरअसल UGC की नई गाइडलाइन में पीएचडी (PHD) करने के लिए मास्टर डीग्री की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. नई गाइडलाइन के अनुसार अब पीएचडी प्रोग्राम में दाखिले के लिए 4 वर्ष की ग्रेजुएशन डिग्री वाले छात्र योग्य होंगे. जिसमें 7.5 सीजीपीए (CGPA) होना अनिवार्य है.
UCG ने इससे पहले सीयूईटी (CUET) को लागू किया (UGC implemented CUET)
UCG भारत में शिक्षा व्यवस्था को लेकर समय-समय पर शिक्षा प्रणाली में बदलाव करती रहती है. हाल ही में UGC ने कॉलेजों में दाखिले के लिए सीयूईटी (Central Universities Entrance Test) लागू किया था, जिसमें देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में अंडर ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला लेने के लिए आयोजित की जा रही है. परीक्षा में सभी प्रश्न क्लास 12 के सिलेबस से पूछे जाते हैं तथा इस परिक्षा में अर्जित किए गए अंको के आधार पर ही छात्रों को कॉलेजों में दाखिला दिया जाएगा. बता दें कि इससे पहले 12 वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर छात्रों को कॉलेजों में दाखिला मिलता था.
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गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार एमफिल (M.Phil) को खत्म करने की सिफारिश की गई है. साथ ही 4 वर्ष के ग्रेजुएशन प्रोग्राम का लागू करने की घोषणा की गई है. जिससे अब 3 वर्ष के ग्रेजुएशन कोर्स को 4 साल का कर दिया जाएगा, जिसे देखते हुए UGC ने पीएचडी के इन नियमों में बदलाव किया है.
पीएचडी के लिए 4 साल की ग्रेजुएशन डिग्री (PhD after 4 year Graduation)
मिली जानकारी के मुताबिक आगामी नए सत्र 2022-23 से इस नीति को लागू किया जा सकता है. उनका उद्देश्य देश में शोध (Research) को बढ़ावा देना है. साथ ही पीएचडी में एडमिशन पाने के लिए छात्रों के पास 7.5 CGPA होना जरुरी है और एससी एसटी, ओबीसी, और विकलांक छात्रों के लिए 0.5 CGPA की रियायत दी गई है. जिन छात्रों के CGPA , निर्धारित CGPA से कम होंगे उन छात्रों को एक साल की मास्टर डीग्री हासिल करनी होगी.
साथ ही यह बताया गया है कि यूजी पाठ्यक्रमों में 7.5 या इससे अधिक सीजीपीए (CGPA) लाने वाले छात्र ही पीएचडी एडमिशन के लिए पात्र होंगे. हालांकि जिन छात्रों ने 7.5 से कम सीजीपीए प्राप्त किया है उन्हें 1 वर्षीय मास्टर डिग्री हासिल करनी होगी.