भारत के सामने एक नई परेशानी गेहूं की खेप को लेकर सामने खड़ी है. देश का लगभग 56 हजार टन गेहूं की खेप (wheat consignment) इजरायल के बंदरगाह पर फंसी हुई है. बताया जा रहा है कि, यह खेप तुर्की भेजा गया था, लेकिन कुछ कारणों के कारण इसे तुर्की ने लेने से मना कर दिया.
तुर्की और मिस्त्र ने गेहूं की खेप लेने से मना क्यों किया ?
मिली जानकारी के अनुसार, तुर्की और मिस्त्र से होते हुए गेहूं की खेप को किस जगह पर भेजना है. इसके लिए सरकार से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रही है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, भारत सरकार ने 13 मई 2022 को देश में गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था, लेकिन इसे पहले ही तुर्की के लिए भारत ने गेहूं की एक खेप को रवाना कर दिया था. अब तुर्कों ने रूबेला वायरस का हवाला देते हुए भारत का गेहूं लेने से मना कर दिया था. इसके बाद इस गेहूं की खेप को मिस्त्र भेजा गया, जहां उन्होंने भी इसे लेने से मना कर दिया.
गेहूं की खेप को सभी क्वारंटीन प्रक्रियाओं से गुजारा
गेहूं की खेप को लेकर भारत सरकार का कहना है कि, तुर्की रवाना गेहूं की खेप (wheat consignment) को पहले सभी जरूरी क्वारंटीन प्रक्रियाओं से गुजारा गया था. इसके बाद ही आईटीसी लिमिटेड के द्वारा इसे तुर्की के लिए रवाना किया गया था. गेहूं की खेप को ठुकराने को लेकर आधिकारीयों का कहना है कि, तुर्की ने भारतीय गेहूं की खेप को लेने से इसलिए भी मना कर दिया था, क्योंकि गेहूं में प्रोटीन की मात्रा (Protein content in wheat) 13 से 14 प्रतिशत तक कम थी, जो तुर्की के लिए मुख्य खाद्य सुरक्षा मानक (food safety standards) होता है. इसके अलावा अधिकारियों का यह भी कहना है कि, मिस्त्र ने भारतीय गेहूं की जांच (Indian wheat test) के बिना ही उसे लेने से इनकार कर दिया था.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत
अगर देखा जाए, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत (price of wheat) लगभग 450- 480 डॉलर प्रति टन तक है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, गेहूं की इस खेप की कीमत लाखों में हो सकती है, क्योंकि रूस, यूक्रेन युद्ध के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की कीमतों में भारी उछाल आया है.
एक अधिकारी ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर कहा कि भारत के कई देशों के साथ संबंध अच्छी नहीं है, लेकिन फिर भी भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अपनी खुद की एक अलग पहचान बनाई हुई है. यह अकेले अपने बल बूते खड़ा है.