जबरदस्त है गहरी जुताई के फायदे, कम लागत के साथ बढ़ता है उत्पादन! 10 वर्ष पुरानी आदिवासी पत्रिका 'ककसाड़' के नवीनतम संस्करण का कृषि जागरण के केजे चौपाल में हुआ विमोचन Vegetables & Fruits Business: घर से शुरू करें ऑनलाइन सब्जी और फल बेचना का बिजनेस, होगी हर महीने बंपर कमाई Rural Business Idea: गांव में रहकर शुरू करें कम बजट के व्यवसाय, होगी हर महीने लाखों की कमाई एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 15 March, 2018 12:00 AM IST
Tomato Farming

टमाटर की खेती (Tomato Farming) अलग-अलग तरह से की जा सकती है किन्तु अच्छी फसल हेतु जल निकास व दोमट मिट्टी लाभकारी होती है. इसके लिए 6-7 पीएच मान अच्छा माना जाता है. टमाटर की फसल हेतु उठी हुईं क्यारियां बना लें जो कि जमीन से 10-15 इंच तक की हों. क्यारियां बनाते समय मिट्टी को अच्छी तरह मिलाकर भुरभुरा कर लें व उसमें आवश्यकतानुसार खाद भी मिलाएं. उठी हुई क्यारियां होने से उगने वाले फल जमीन पर नहीं लग पाती तथा खरपतवार भी कम होते हैं.

बीजदर: एक हैक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है. संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हैक्टेयर पर्याप्त रहती है.

किस्में: पूसा सदाबहार, पूसा रूबी, अर्का विकास, सोनाली, पूसा शीतल, पूसा रोहिणी, पूसा -120, पूसा अर्ली ड्वार्फ, पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-4 तथा पूसा हाइब्रिड-2 (शेडनेट एवं पाॅलिहाउस: अवतार, अर्का मेघाली, अर्का सुरभी).

नर्सरी तैयार करना: जुलाई माह में पौध तैयार करते हैं. एक एकड़ खेत में टमाटर की पौध रोपने के लिए जुलाई माह में 2 डिसमिल परिक्षेत्र में टमाटर के बीजों की नर्सरी डाल दें. इसके लिए खेत के एक भाग में क्यारी बनाकर गोबर की खाद डालें तथा दो इंच ऊंची मिट्टी तैयार कर देशी या संकर बीज की बुवाई करें. पुनः पौध तैयार होने पर खेत में इसकी रोपाई कर दें.

बुवाई का समय: टमाटर की फसल को हम दो बार लगाते हैं. खरीफ के लिए जुलाई से अगस्त तथा रबी में अक्टूबर से नवम्बर के अंत तक बुवाई व रोपाई की जाती है.

उर्वरक की मात्रा: रोपाई के एक माह पहले गोबर या कम्पोस्ट की अच्छी गली व सड़ी खाद 20-25 टन/हैक्टेयर की दर से अच्छी तरह मिला लें. फॉस्फोरस व पोटाश की क्रमशः 60 व 50 किलोग्राम मात्रा रोपाई से पहले भूमि में प्रयोग करें तथा बाकी नाइट्रोजन की आधी मात्रा फसल में फूल आने पर प्रयोग करें.

सिंचाई: टमाटर को नमी की आवश्यकता होती है. इसमें अधिक या कम दोनों ही हानिकारक होती हैं. अतः मौसमानुसार गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल में तथा सर्दियों में 10-15 दिन के अन्तराल में दें.

निराई-गुड़ाई व पौधों को सहारा देना: फसल के साथ अक्सर खरपतवार आ जाते हैं जो कि आवश्यक पोषक तत्व पूर्णतः पौधे तक नहीं पहुंचने देते. अतः समय पर निराई-गुड़ाई कर खरपतवार को निकालते रहना चाहिए. टमाटर में फूल आने के समय पौधों में सहारा देना आवश्यक होता है. विशेषतः टमाटर की लम्बी बढ़ने वाली किस्मों को सहारा देने की आवश्यकता होती है जिससे कि फल मिट्टी एवं पानी के सम्पर्क में नहीं आ पाते. फलस्वरूप फल सड़ने की समस्या नहीं होती है. सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकड़ी के डंडों में विभिन्न ऊंचाईयों पर छेद करके तार बांध दें फिर पौधों को सुतली की सहायता से तारों से बांध दें. इस तरह से आप अच्छी गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त कर सकते हैं.

तुड़ाई: अगस्त में रोपे गए पौधों में अक्टूबर में फल आने लगते हैं. फसल 75 से 100 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था मंे फलों की तुड़ाई करें. नजदीकी बाजार में भेजने हेतु परिपक्व फलों की तुड़ाई करें.

टमाटर की उत्पादन तकनीक शेडनेट के अंतर्गत

गर्मी के दिनों में संकर टमाटर शेडनेट में आसानी से उगाए जा सकते हैं. इसके लिए 35 प्रतिशत वाली शेडनेट उपयोग की जा सकती है. शेडनेट के अंतर्गत क्यारी से क्यारी की दूरी 80 सें.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 40 ग 60 से. मी.  रखी जाती है. प्रारम्भिक स्तर पर छ एवं ज्ञ प्रत्येक की 50 किग्रा तथा च् की 250 किग्रा मात्रा प्रति हैक्टेयर दी जाती है एवं फर्टिगेशन के समय छ एवं ज्ञ प्रत्येक की 200 किग्रा मात्रा सीधे दे सकते हैं.

पॉली हाउस के अंतर्गत टमाटर की उत्पादन तकनीक

बरसात के मौसम में पाॅलीहाउस के अंतर्गत इंडिटर्मिनेट प्रकार के संकर टमाटर बो सकते हैं. इसके लिए मृदा में देशी खाद, कम्पोस्ट कॉयर मज्जा तथा रेत का 2:1:1 मिश्रण उपयोग करते हैं. शुरुआत में छच्ज्ञ प्रत्येक को 50 किग्रा प्रति हैक्टेयर की दर से उपयोग करते हैं, एवं उसके बाद फर्टिगेशन में छच्ज्ञ प्रत्येक को 250 किग्रा प्रति हैक्टेयर की दर से उपयोग करते हैं. पॉली हाउस में 50 माइक्रोन की पॉलीथिन मल्च का उपयोग किया जाता है .

रोग व नियंत्रण

आद्र्र गलन: प्रायः यह फंगस द्वारा होता है तथा पौधशाला में होता है.

नियंत्रण: बीज को 3 ग्राम थाइरम या 3 ग्राम केप्टान प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बोएं. नर्सरी में बुवाई से पूर्व थाइरम या केप्टान 4 से 5 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से भूमि में मिलावें. नर्सरी, आसपास की भूमि से 4 से 6 इंच उठी हुई बनाएं.

पछेती अंगमारी: यह रोग पौधों की पत्तियों पर किसी भी अवस्था में होता है. भूरे व काले बैंगनी धब्बे पत्तियों एवं तने पर दिखाई देते हैं जिसके कारण अन्त में पत्तियां पूर्ण रूप से झुलस जाती हैं.

नियंत्रण: मैन्कोजेब 2 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम या रिडोमिल एम जैड 3 ग्राम प्रति लिटर पानी के घोल का छिड़काव करें.

पत्ती धब्बा रोग: बैक्टीरियल धब्बा रोगजनक पौधे के सभी भागों पर घावों का उत्पादन कर सकते हैं जैसे पत्तियों, तना, फूल और फल. प्रारंभिक पत्ती पर लक्षण एक पीले रंग की प्रभामंडल से घिरा हो सकता है. जो छोटे, गोल से अनियमित, गहरे घावों जैसे होते हैं. घाव, पत्ती के किनारों और अग्रभाग पर 3-5 मि.मी. व्यास के आकार में वृद्धि करते हैं. प्रभावित पत्तियों पर एक झुलसन जैसी दिखाई देती है. अनेक स्पॉट हो जाते हैं तथा पत्ते पीले रंग में बदल जाते हैं और अंत में पौधे के निचले हिस्से से पत्ते झड़ जाते हैं व पौधा मर जाता है.

नियंत्रण: नर्सरी बेड की तैयारी से पहले मिट्टी धूप में तैयार करें. बीज को स्यूडोमोनास क्लोरसेंस (10 ग्राम/कि.ग्रा) से उपचारित करें.

कीट प्रकोप व नियंत्रण:

  1. पत्ती सुरंगक कीट (लीफ माइनर): ये कीट पत्तियों में चांदी के रंग की सुरंगे बनाकर उसके अन्दर पत्तियों को खाता है.

नियंत्रण:

ग्रसित पत्तियों को निकाल कर नष्ट कर दें.

डाइमेथोएट 2 मि.लि./लिटर या मिथाइल डेमीटोन 30 ई.सी. 2 मि.लि./लिटर पानी का छिड़काव करें.

  1. टमाटर फल छेदक (टोमेटो फ्रूट बोरर): यह कीट टमाटर में सर्वाधिक हानि पहुंचाने वाला कीट है तथा मादा कीट पत्तियों की निचली सतह पर अण्डे देती है. इल्ली टमाटर के फलों में छेद करके फल का गूदा खाती है.

नियंत्रण:

टमाटर की प्रति 16 पंक्तियों पर ट्रैप फसल के रूप में एक पंक्ति गेंदा की लगाएं.

जरुरत पड़ने पर नीम के बीज का अर्क (5 प्रतिशत) या एन.पी.एच.वी. 250 मि.लि./हैक्टेयर, एमामेक्टिन बैन्जोएट 5 एस.जी., 1.ग्रा./2 लिटर स्पिनोसेड 45 एस.सी. 1. मि.लि./4. लिटर या डेल्टामेथ्रिन 2.5 ई.सी. 1.मि.लि./पानी का इस्तेमाल करें.

  1. सफेद मक्खी (व्हाइट फ्लाई): ये कीट पत्तियों का रस चूसते हैं तथा वायरस जनित रोगों का प्रसार करते हैं.

नियंत्रण:

रोपाई से पहले पौधों की जड़ों को आधे घंटे के लिए इमिडाक्लोरपिड 1 मी.लि./3 लिटर में डुबोएं.

नर्सरी को 40 मैश की नाइलोन नेट से ढंककर रखें.

नीम बीज अर्क (4 प्रतिशत) या डाईमेथोएट 30 ई.सी. 2 मी.लि./लिटर या मिथाइल डेमीटोन 30 ई.सी. 2 मी.लि./लिटर पानी का छिड़काव करें.

टमाटर की उन्नत खेती का मुख्य उद्देश्य:

उन्नत खेती का मुख्य उद्देश्य निरंतर उपज के लिए एक अनुकूल स्थिति को बनाए रखना है. संरक्षित संरचना एक अधिक या कम लागत के पॉलीहाऊस, नेटहाऊस, लो-टनल, सुरंग आदि किसानों के लिए उपयोगी है.

उन्नत खेती के लिए स्थान सुलभ होना चाहिए जहां पर्याप्त धूप आती हो तथा पानी एकत्रित न होता हो.

रोगों को कम करने के लिए नए स्थान का चयन करना चाहिए. मृदा जल निकास, बलुई साथ ही कार्बनिक पदार्थ (2.0 प्रतिशत से ज्यादा) होना चाहिए.

एन. आर. रंगारे, राजेश आर्वे

जवाहर लाल नेहरु, कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर

English Summary: Tomato protected farming
Published on: 15 March 2018, 05:13 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now