वर्तमान समय में हर कोई अपनी सेहत को अच्छा और स्वस्थ्य रखना चाह रहा है. भारत में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ शरीर की इम्युनिटी बूस्ट करने में काफी मददगार साबित होती हैं . देश में कई औषधीय पौधे पाए जाते हैं जैसे- अश्वगंधा, गिलोय, भृंगराज, सतावर, पुदीना, मोगरा, तुलसी, घृतकुमारी, ब्राह्मी, शंखपुष्पी और गूलर जो बीमारियों को दूर करने की ताकत रखते हैं.
इसे बढ़ावा देने केई लिए सरकार ने औषधीय पौधों की खेती की योजना बनाई है. जिसके तहत किसान न सिर्फ औषधियों की उपलब्धता बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपनी कमाई का एक अच्छा जरिया भी बना सकते हैं. सरकार की इस योजना को जानने के लिए पढ़िए इस पूरे लेख को-
दरअसल हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने करीब साव दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हर्बल पौधों की खेती हेतु सहायता प्रदान की है. आगामी सालों में 4000 करोड़ रुपए के खर्च से हर्बल खेती के तहत 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा. इससे किसानों को करीब 5000 करोड़ रुपए की आय होगी.
भारत में 8000 औषधीय पौधों का होता है उपयोग – (8000 medicinal plants are used in India)
भारत में करीब 8000 औषधीय पौधे हैं, जिनका उपयोग औषधीय गुणों के लिए किया जाता है. बता दें औषधीय पौधों का उपयोग मानसिक रोगों, मिर्गी, पागलपन ,मंद-बुद्धि, कफ एवं वात, पीलिया, आँव, हैजा, फेफड़ा, अण्डकोष, तंत्रिका विकार, दीपन, पाचन, उन्माद, रक्त शोधक, ज्वर नाशक, मधुमेह, मलेरिया एवं बलवर्धक एवं त्वचा रोग आदि के लिए किया जाता है. बदलते दौर में औषधीय पौधों के महत्व को तेजी से अपनाया जा रहा है. औषधीय पौधों की बढती मांग के कारण किसानों के लिए भी इनकी खेती का अवसर तैयार हो गया है. यहीं कारण है कि किसान अब हर्बल पौधे की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं.
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औषधीय पौधे की विशेषता – (Characteristics of medicinal plant)
1. औषधीय पौधा की फसल को ज्यादा देखभाल और पानी की भी जरूरत नहीं होती.
2. ये फसल कम समय में तैयार हो जाती हैं.
3. इसमें एक बार बुवाई करने पर कई बार पैदावार मिलती है.
4. अच्छी कमाई का जरिया है.
5. औषधीय पौधे खेती में लागत कम लगती है.
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