मक्का एक औद्योगिक फसल है, जिसका उपयोग कई रूप में किया जाता है. इसे अनाज की रानी कहा जाता है. अनाज की फसलों में मक्का की उपज/हेक्टेयर सबसे अधिक होती है. वहीं, भारत में मक्का चावल और गेहूं के बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का (Maize) है. इसकी खेती मुख्य रूप से खरीफ मौसम के दौरान की जाती है.
हमारे देश में मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसका उपयोग मुख्य भोजन के रूप में और पशुओं के लिए गुणवत्तापूर्ण चारा के रूप में किया जाता है. इसमें मौजूद स्टार्च, तेल, प्रोटीन जैसे पोषक तत्त्व सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित होते हैं. इन्हीं गुणों के चलते बिहार के पूर्णिया क्षेत्र (Purnia Region) में किसान भाई अब मक्के की खेती की तरफ अपना रुझान दिखा रहे हैं. करीब पिछले दो दशक से इस जिले के किसान मक्के की खेती बड़े पैमाने पर करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इसके अलावा निर्यात कर मुनाफा कमा रहे हैं.
मक्के की बढ़ती मांग (Increasing Demand For Maize) को देखते हुए एवं किसानों की आय को दोगुना करने के लिए बिहार सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. दरअसल, राज्य सरकार ने पूर्णिया जिले में 80515.5 हेक्टेयर में मक्के की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. बता दें कि इस साल जिले में सबसे अधिक मक्के की खेती की गई है. माना जा रहा है कि लगभग 9350 हेक्टेयर में मक्के की खेती की जाएगी, तो वहीँ बैसा प्रखंड की मक्के की खेती करीब 2500 हेक्टेयर में की जाएगी.
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इसके अलावा अन्य प्रखंड में जैसे पूर्णिया पूर्व प्रखंड में 7620 हेक्टेयर, कसबा में 3286.5 प्रति हेक्टेयर में खेती की जाएगी. इसके साथ ही जलालगढ क्षेत्र में 3000 हेक्टेयर, बनमनखी में 8000 हेक्टेयर, धमदाहा में 6360 हेक्टेयर, बीकोठी में 5900 हेक्टेयर, भवानीपुर में 3920 हेक्टेयर, रुपौली में 7757 हेक्टेयर, अमौर में 4300 हेक्टेयर, बायसी में 8332 हेक्टेयर और डगरुआ में 6390 हेक्टेयर में खेती होगी.