कोरोना वायरस के कारण चीन से आयात-निर्यात ठप हो गया है. दिल्ली में कोरोना वायरस आने के बाद से तो मानो चीन के उत्पादों का भारतीय ग्राहकों ने बहिष्कार सा ही कर दिया है. चीनी रंगों और पिचकारी का कारोबार ठंडा पड़ा है. ऐसे में जैविक रंगों की मांग अचानक बढ़ गई है. बाजार के कैमिकलयुक्त रंगों के मुकबाले प्राकृतिक रंग से होली खेलना ना सिर्फ अच्छा बल्कि आपके स्किन के लिए भी फायदेमंद है. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि किस तरह होली में जैविक रंगों के माध्यम से आप बंपर कमाई कर सकते हैं.
घर पर ही तैयार किए जा सकते हैं प्राकृतिक रंग
प्राकृतिक रंगों को घर में भी बनाया जा सकता है. पक्का रंग या गाढ़ा रंग बनाने के लिए कच्ची हल्दी और चुकंदर का उपयोग किया जा सकता है. वहीं प्राकृतिक गुलाल बनाने में गाजर सहायक हो सकता है.
ऐसे बनाएं प्राकृतिक गुलाल
इसे बनाने के लिए सबसे पहले गाजर को अच्छी तरह धो लें. गाजर को कद्दूकस कर लें या उसकी लगुदी बना लें. इसके बाद कुछ दिन (दो से तीन दिन) धूप में सुखाएं. आपका गुलाल तैयार है. हालांकि अगर आप चाहें तो अधिक बेहतरीन परिणामों के लिए उसमें थोड़ा सा टेलकम पाउडर का उपयोग कर सकते हैं.
ऐसे बनाएं गीला रंग
गीला रंग बनाने के लिए आप पालक और मेथी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन्हें पीसकर गीला रंग तैयार करना आसान है. यह एक प्रकार का ऑर्गनिक कलर ही है. इस पेस्ट को गाढ़ा या हल्का करने के लिए पानी का उपयोग जरूरत अनुसार किया जा सकता है. अगर आप महरून रंग बनाना चाहते हैं तो चुकंदर का उपयोग कर सकते हैं. वहीं लाल रंग बनाने के लिए टेसू के फूलों का उपयोग किया जा सकता है.
सफेद गुलाल बनाने का तरीका
सफेद गुलाल बनाने के लिए सबसे अच्छा साधन चंदन है. सफेद चंदन को पीसकर सुखाने के बाद उसका गुलाल की तरह उपयोग किया जा सकता है. वैसे चंदन की जगह टूलिप्स या किसी सफेद पुष्प को भी पीसकर रंग बना सकते हैं.
सावधानी
फूलों से रंग बनाने का काम आसान है लेकिन इसमें कुछ सावधानी रखना जरूरी है. फूलों को कभी पॉलीथिन या कपड़ों की थैली में नहीं रखना चाहिए. फूलों को किसी रिएक्टेबल बर्तन में रखने से बचें.