उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुगर और कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों से लड़ने की ताकत पैदा करने के लिए यहां पर मणिपुर का चखाओं प्रजाति का धान तैयार किया गया है. यहां पर जैविक तरीके से मणिपुर के चखाओं प्रजाति का काला धान उगाया जा रहा है. यहां प्रयागराज में एक गांव के प्रगतिशील किसान रवि प्रकाश ने इसकी खेती करने का कार्य शुरू किया है. प्रकाश बताते है कि वह छत्तीसगढ़ के बस्तर स्थित कोंडा गांव में इसकी व्यापक रूप से इसकी खेती की जा रही है.
काफी तेजी से बढ़ेगी फसल
यहां के कृषि विशेषज्ञ डॉ. राजाराम को जैविक खेती में उत्कृष्ट योगदान के लिए अर्थ हीरो और राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. मणिपुर के काला चावल की विशेषता को जाना है इससे पता चला है कि चावल से न केवल कैंसर और शुगर नियंत्रित होगा, बल्कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त भी है क्योंकि यह एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है. इससे किसानों की आय भी काफी तेजी से बढेगी. अब बिना रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से अपने गांव के खेत में इसका उत्पादन किया जाता है. बाजार में इसकी कीमत 500 रूपये किलो तक है. 120 दिनों के भीतर यह तैयार हो जाता है.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुगर और कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों से लड़ने की ताकत पैदा करने के लिए यहां पर मणिपुर का चखाओं प्रजाति का धान तैयार किया गया है. यहां पर जैविक तरीके से मणिपुर के चखाओं प्रजाति का काला धान उगाया जा रहा है. यहां प्रयागराज में एक गांव के प्रगतिशील किसान रवि प्रकाश ने इसकी खेती करने का कार्य शुरू किया है. प्रकाश बताते है कि वह छत्तीसगढ़ के बस्तर स्थित कोंडा गांव में इसकी व्यापक रूप से इसकी खेती की जा रही है.
काफी तेजी से बढ़ेगी फसल
यहां के कृषि विशेषज्ञ डॉ. राजाराम को जैविक खेती में उत्कृष्ट योगदान के लिए अर्थ हीरो और राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. मणिपुर के काला चावल की विशेषता को जाना है इससे पता चला है कि चावल से न केवल कैंसर और शुगर नियंत्रित होगा, बल्कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त भी है क्योंकि यह एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है. इससे किसानों की आय भी काफी तेजी से बढेगी. अब बिना रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से अपने गांव के खेत में इसका उत्पादन किया जाता है. बाजार में इसकी कीमत 500 रूपये किलो तक है. 120 दिनों के भीतर यह तैयार हो जाता है.