Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 8 April, 2019 5:31 PM IST

ओडिशा के कंधमाल में आदिवासियों के द्वारा उगाई जाने वाली हल्दी को भौगौलिक पहचान (जीआई प्रमाणन) मिल गया है। दरअसल यहां पर सेंट्रल टूल रूम ऐंड ट्रेनिंग सेंटर में स्थापित इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी आफ फैसिलिटेशन सेंटर के प्रमुख ने बताया है कि कंधमाल की हल्दी को भौगौलिक संकेतिक पंजीयक से जीआई पहचान मिल गई है। दरअसल यहां की हल्दी चिकित्सीय गुणों के कारण भी इसका दावा हुआ था। इस हल्दी की फसल को नकदी क्षेत्र की फसल भी कहा जाता है। अब यहां कंधमाल की हल्दी को विधिक संरक्षण प्राप्त हो गया है। इससे इसकी आने वाले समय में वैश्विक पहचान भी बढ़ जाएगी। सबसे ज्यादा यह हल्दी अपनी औषधियां विशेषताओं को लेकर प्रसिद्ध है।

ओडिशा सरकार ने किया आवेदन

दरअसल हल्दी के जीआई टैग के लिए ओडिशा सरकार ने हल्दी को भौगोलिक मान्यता देने हेतु आवेदन को प्रस्तुत किया था। हल्दी को भौगोलिक मान्यता देने हेतु आवेदन को प्रस्तुत किया था। दरअसल इससे पहले ओडिशा में पश्चिम बंगाल के साथ रसगुल्ले को लेकर भी विवाद चल रहा है जो कि ओडिशा के हाथ से निकल चुका है। ओडिशा सरकार इस बात के बाद काफी सावधान है। सरकार की ओर से सेंट्रल रूम औरट्रेनिंग सेंटर के दावार जारी की अर्जी के संबंध में बताया गया है कि कंधमाल हल्दी की गुणवत्ता और इसकी पूर्ण स्वतंत्रता पर पिछले दो साल से अनुंसधान जारी हुआ है। अब सारे जांच तथ्यों को परखने के बाद इस तरह का प्रमाण जारी किया गया है। देश के अन्य स्थान पर उत्पादित हल्दी के मुकाबले कंधमाल की हल्दी का रंग सोने की तरह सुर्ख होता है और इसमें कई तरह के उत्तम गुण पाए जाते है। यहां की 15 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खेती से जुड़ी हुई होती है।

हल्दी इसीलिए खास

अगर हम ओडिशा के कंधमाल की हल्दी के बारे में बात करें तो स्थानीय लोग ही नहीं शासन तंत्र भी कंधमाल की हल्दी को स्वतंत्रता का प्रतीक यानी की असली उपज मानते है। इस हल्दी का कोई भी औषधीय उपयोग करने पर दुष्प्रभाव नहीं होता है। इसकी खासियत यह है कि इसके उत्पादन में किसानों के जरिए कोई भी कीटनाशक का उपयोग नहीं होता है। यह वास्तव में अपनी गुणवत्ता के लिए काफी ज्यादा आगे है।

English Summary: This turmeric has got GI certification
Published on: 08 April 2019, 05:34 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now