आमतौर पर शीतल पेय को सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में तैयार शीतल पेय न केवल मोटापे को दूर करेगा बल्कि इसके सहारे दांतों में सड़न की समस्या भी नहीं होगी. हिमालय जैव संपदा प्रोदयोगिकी संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिकों ने कांगड़ा चाय से यह शीतल पेय तैयार किया है. इस शीतल पेय में चीनी की मात्रा बहुत ही कम है.
इस तरह से तैयार किया
वैज्ञानिको ने कहा है कि कांगड़ा चाय का वह हिस्सा जिसको बेकार छोड़ दिया जाता है. उसी का प्रयोग करते हुए शीतल पेय को तैयार किया गया है. इसके अवशेषों का पाउडर तैय़ार करके उसको शीतल पेय में मिलाया जाता है. बता दें कि बाजार में मिलने वाले शीतल पेय चीनी की अधिकता और रंग के कारण दांतों की सड़न का कारण बनते है. इसमें चीनी की मात्रा काफी कम है. इसके चलते यह दांतों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा.
जल्द बाजार में मिलेगा
हिमालय जैव संपदा पौद्रयोगिकी संस्थान ने इस पेय के विधि को लेकर कैमेलिया बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता किया है. इसके तहत जल्द ही पेय को बाजार में उतारा जाएगा. इसको बाजार में मौजूद कोल्ड ड्रिक्स, अन्य शीतल पेय की कीमत पर ही बेचा जाएगा.
कांगड़ा की चाय है फेमस
सबसे ज्यादा कांगड़ा चाय धर्मशाला, पालमपुर और बैजनाथ उपमंडल में होती है. मंडी जिले के जोगेंद्रनगर और चंबा जिला के भटियात उपमंडल में भी यह तैयार होती है. कंगड़ा चाय का उत्पादन भी 1200 हेक्येटर में होता है जिससे किसानों को काफी ज्यादा फायदा होता है. कंगड़ा में चाय मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है इसके अंदर काली और हरी चाय होती है. इस शीतल पेय को दोनों चाय से तैयार किया गया है. यह चाय सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है और आपको काफी ज्यादा तंदरूस्त रखती है.