बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) ने आम उत्पादकों को एक अच्छी खबर दी है. संस्थान ने आम के कुछ पौधे तैयार किए हैं जो किसानों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं, खासकर ये बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के बागवानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकते है. बीएयू के वैज्ञानिकों के अनुसार, तैयार किए गए इन नए पौधों के जड़ों में ज्यादा पानी लगने के बाद भी कोई नुकसान नहीं होगा. इसका मतलब यह है कि अगर एक आम का पेड़ लंबे समय तक पानी में डूबा रहता है, या उसके बाग में बहुत अधिक पानी है, तो वह न तो सूखेगा और न ही खराब होगा. आमतौर पर यह पाया जाता है कि यदि पौधे या पेड़ लंबे समय तक पानी में रहते हैं, तो वे या तो सड़ जाते हैं या उन्हें किसी प्रकार का कीट और बीमारी लग जाती है. लेकिन इन नए आम के पौधों के साथ ऐसा नहीं है. इन्हें तैयार करने में लगभग दो साल लगे हैं.
गुठली को लगाकर पौधे किए तैयार
मिली जानकारी के मुताबिक, बीएयू के वैज्ञानिक और इस शोध के प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. मुनेश्वर प्रसाद ने बताया कि बॉम्बे, मिलीपीलियन, ओलूर और कुरकन के गुठली को लगाकर पौधे तैयार किए जाते हैं। जब वह कम से कम 75 सेंटीमीटर से एक मीटर तक हो जाए तो उस पर मालदा, जर्दालु या अन्य किस्म के पौधे को कलम कर तैयार किए जाते हैं. इसके बाद तैयार किए पौधे जलजमाव वाले क्षेत्र में भी नहीं नहीं सूखेगा.
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के इस नए नवाचार से किसानों की आम की खेती अब पानी के कारण बर्बाद नहीं होगी. जहां बाढ़ की समस्या है, किसान या बागवान इन विशेष पौधों को लगाकर अपने नुकसान से बच सकते हैं और पूरा लाभ उठा सकते हैं. अगर 75 फीसद पौधा पानी में डूब जाता है, तब भी यह सुरक्षित रहेगा.
विशेषज्ञों के अनुसार, इन पौधों से तैयार पेड़ एक महीने तक पानी में रहने के बावजूद किसी भी तरह के नुकसान से बच सकते हैं. जल्द ही इन पौधों को किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. बागान इसे पूरे देश में लगा सकते हैं, खासकर किसान और बागवान जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में खेती करते हैं, इसका लाभ उठा सकते हैं.