दुनिया के नजरिए को बदलने के लिए शिक्षा हमारे पास सबसे शक्तिशाली हथियार होता है. एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति जानता है कि सभी प्रकार के मुद्दों का सामना कैसे करना है. एक व्यक्ति उचित शिक्षा के साथ उत्कृष्ट नैतिक मूल्यों का निर्माण कर सकता है. यह हमें एक अच्छा इंसान बनने में मदद करता है.
इस विचार को आगे बढ़ाने के साथ-साथ अन्य संस्थानों को प्रेरित करने और प्रोत्साहित करने के लिए, परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन, हिमाचल प्रदेश में प्रगतिशील कृषि नेतृत्व शिखर सम्मेलन 2021 आयोजित किया गया. जहाँ इस समिट में विभिन्न श्रेणियों के तहत 43 पुरस्कार वितरित किए गए, जिनमें 'शैक्षिक संगठन' भी था. तो आइए आपको बताते हैं कि इस क्षेत्र में किसको सम्मानित किया गया.
जीबी पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (GB Pant University Of Agriculture And Technology)
जी बी पंत कृषि विश्वविद्यालय भारत का पहला विश्वविद्यालय है. यह उत्तराखंड राज्य में स्थित है. इसकी स्थापना 1960 में हुई. पिछले 50 सालों में यह कृषि के क्षेत्र में विभिन्न फसलों की हजारों प्रजातियों से अधिक पर अनुसंधान करते हुए राष्ट्र के किसानों के लिए तैयार की गई. जो कि भारत में सभी कृषि विश्वविद्यालय से बहुत ज्यादा है. इस विश्वविद्यालय की मदद से यूपी तथा उत्तराखण्ड व समीपवर्ती राज्यों के किसानों ने अपने कृषि उत्पादकों को बढ़ाकर अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं. इस विश्वविद्यालय ने कार्प बीज का रिकर्ड उत्पादन हासिल किया और उत्तराखंड के जलाशयों में लगभग 40 लाख गुणवत्ता वाले बीज का भंडार किया.
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महर्षि मार्कंडेश्वर (डीम्ड यूनिवर्सिटी), अंबाला (Maharishi Markandeshwar (Deemed University), Ambala)
इसके बाद दूसरा सम्मान महर्षि मार्कंडेश्वर विश्वविद्यालय को मिला है. यह अम्बाला जिले के मुल्लाना में स्थित है. इस संस्थान की स्थापना 1993 में की गई. जिसका उददेश्य कृषि संकाय में युवाओ को शिक्षित बनाना व अनुसंधान करके रोजगार के अवसर प्रदान करना तथा कृषि विकास दर को बढाना है. कृषि परामर्श सेवाओं के माध्यम से कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को बढ़ावा देना.
आईसीएआर अटारी सेंटर (Icar Attari Center)
इसके बाद लुधियाना के आईसीएआर अटारी सेंटर को भी बेस्ट इंस्टिट्यूट ऑफ़ लैब फार्म रिसर्च का ख़िताब मिला है. यह अनुसंधान दुनिया की सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों में से एक है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. इसकी स्थापना 1929 में की गई. आईसीएआर ने अपने अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से भारत में कृषि में हरित क्रांति और उसके बाद के विकास की शुरुआत करने में अग्रणी भूमिका निभाई है.