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Updated on: 4 January, 2022 11:48 AM IST
दार्जिलिंग चाय

विश्व स्तर पर सबसे लोकप्रिय चाय किस्मों में से एक दार्जिलिंग चाय का उत्पादन 2021 में घटकर 6.5 मिलियन किलोग्राम रह गया है, जो रिकॉर्ड पर सबसे कम है. दो दशक पहले उत्पादित 13 मिलियन किलोग्राम का सिर्फ आधा है. यह आकड़ा अपने आप में चौंका देने वाला है.

इसकी वजह से काफी नुकसान हो रहा है. बता दें कि ये गिरावट जलवायु परिवर्तन, बागानों के बंद होने, चाय श्रमिकों के बीच उच्च स्तर की अनुपस्थिति, 2017 में पहाड़ियों में आंदोलन के कारण निर्यात बाजारों को खोने और घरेलू बाजार में दार्जिलिंग चाय को बढ़ावा देने के लिए कम प्रयास के कारण आई है.

अब बागवानों को डर सता रहा है कि अगर सरकार पुनरुद्धार पैकेज नहीं लाती है, तो भारतीय चाय उद्योग के ध्वजवाहक दार्जिलिंग चाय हिमाचल प्रदेश के पालमपुर की चाय की तरह इतिहास में खो जाएगी. समय के साथ चाय की मांग जिस तरह से बढ़ती जा रही है और उत्पादन में कमी हो रही है. उसको देखकर ऐसा लगने लगा है कि आने वाले दिनों में चाय को लेकर एक बड़ा संकट आने वाला है.

दार्जिलिंग चाय की खासियत और उस पर मंडराता खतरा

दार्जिलिंग चाय अपने खास स्वाद और सुगंध के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. इन खासियतों की वजहों से ही इस चाय को जीआई टैग भी मिला है. जब कोई वस्तु अपने ख़ासियत की वजह से दूर-दूर तक जाना जाने लगता है. तब मान्यता के तौर पर उसे GI Tag से समानित किया जाता है, जो उसकी पहचान होती है. मगर अब पड़ोसी नेपाल से आने वाली ‘घटिया’ क्वॉलिटी की चाय इसकी पहचान के लिए खतरा बन रही है. नेपाल से मुक्त व्यापार समझौते के तहत आने वाली चाय भारतीय बाजारों में दार्जिलिंग चाय के नाम पर बेची जा रही है.

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दार्जिलिंग के चाय उत्पादकों ने इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा टी बोर्ड को भी पत्र भेजा था.

कुछ उत्पादकों का आरोप है कि नेपाल चीन से आयातित घटिया किस्म की चाय भारतीय बाजारों में भेज रहा है. नेपाल से चाय की बढ़ती आवक और उपलब्धता ने प्रतिष्ठित दार्जिलिंग चाय की कीमतों पर सीधा असर डाला है.

English Summary: There was a tremendous decline in the record of Darjeeling tea production in 2021
Published on: 04 January 2022, 11:53 AM IST

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