Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 8 March, 2019 6:10 PM IST

आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में बाजी मार रही है। लेकिन तब भी अधिकतर जगह पर महिलाओं को उस तरह का दर्जा नहीं दिया जाता है जिनकी वह असल में हकदार है। आज हमारा समाज बदल गया है लेकिन फिर भी महिलाओं को पुरूषों से कम ही आंका जाता है। लेकिन आज हम आपको उस समुदाय के बारे में बताने जा रहे है जहां पर पुरूषों से ज्यादा महिलाओं को तरजीह दी जाती है। उत्तरपूर्वी भारत के मेघालय के खासी और जयंतिया हिल्स के इलाके में रहने वाला खासी समुदाय मातृसत्तामत्कता के लिए काफी मशहूर है। यह सुनने में थोड़ा अजीब लगें लेकिन इस समुदाय की महिलाएं घर में सारे फैसले लेती है। यहां तक की बच्चों का उपनाम भी मां के नाम पर ही रखा जाता है।

खासी जनजाति का राज

खासी जनजाति के लोग मुख्य तौर पर मेघालय के खासी इलाके में बसे है। अगर इनकी आबादी के बारे में बात करें तो यह करीब 15 लाख है, लेकिन मेघालय के अलावा मणिपुर, बंग्लादेश के कुछ हिस्सों में इनकी संख्या देखने को मिलती है।

शादी के बाद ससुराल में रहते पुरूष

शादी के बाद पुरूष इस जगह पर महिलाओं की जगह पर ससुराल में रहता है। अगर दहेज प्रथा की बात करें तो यहां पर इस तरह का कोई चलन है ही नहीं। दरअसल खासी समुदाय में घर परिवार और समाज को संभालने की जिम्मेदारी महिलाओं पर होती है। इतना ही नहीं संपत्ति भी बेटे को नहीं परिवार की सबसे छोटी बेटी को ही दी जाती है। छोटी बेटी अपने माता-पिता का ख्याल रखने के लिए अपने माता-पिता के साथ ही परिवार में उनके साथ में रहती है। इसके अलावा उसका पति भी उसके साथ ही रहता है।

कब शुरू हुई परंपरा

इस समुदाय के लोगों का कहना है कि प्राचीन समय में पुरूष युद्ध के लिए लंबे समय तक काम के सिलसिले में घर से बाहर रहते थे। जब वह घर में नहीं रहते थे तब उनकी गैर-मौजूदगी में सारे जिम्मा महिलाएं ही संभालती है। बस उसके बाद से ही यह रिवाज चली आ रही है। कुछ लोगों का कहना है कि पहले इस समुदाय में महिलाएं बहुविवाह करती थी।

English Summary: The rights of the women of this state are on the hereditary property
Published on: 08 March 2019, 06:12 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now