अनाज बढ़ती आबादी की वैश्विक खाद्य मांग को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. खासकर विकासशील देशों (Developing Countries) में जहां अनाज आधारित उत्पादन प्रणाली पोषण और कैलोरी सेवन का एकमात्र प्रमुख स्रोत है.
पोषक तत्वों से भरपूर अनाज विविध वातावरण में उगाया जाता है. विश्व स्तर पर गेहूं लगभग 217 मिलियन हेक्टेयर में व्याप्त है, जो सभी फसलों के बीच उच्चतम रकबा का स्थान रखता है, जिसका वार्षिक उत्पादन लगभग 731 मिलियन टन है.
भारत, विविध कृषि-पारिस्थितिकी स्थिति से समृद्ध होने के कारण, उत्पादन और स्थिर आपूर्ति के माध्यम से भारतीय आबादी के बहुमत के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से हाल के दिनों में, दुनिया भर में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. यदि यही गेंहू के बीज नए मिल जाये तो उपज और भी बढ़ सकती है और इसकी पैदावार में भी सुधार हो सकता है.
होशगाबाद ने इज़ात किया एमपी 1323 गेंहू (Hoshgabad has invented MP 1323 Wheat)
बता दें कि होशगाबाद जिले के कृषि अनुसंधान केंद्र में गेहूं की एक नई किस्म एमपी 1323 (MP 1323 Genhu) विकसित की गई है. इस गेहूं के बीज में दूसरे गेंहू की तुलना में पैदावार की क्षमता अधिक है और इसमें सबसे ज़्यादा प्रोटीन होने का दावा किया जा रहा है.
अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. केके मिश्रा ने बताया कि 'गेहूं के बीज एमपी 1323 की उत्पादन क्षमता 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है'.
प्रोटीन से है भरपूर (MP 1323 is rich in protein)
कृषि अनुसंधान केंद्र ने पिछले 118 वर्षों में देश को गेहूं की 52 नई किस्मों के बीज दिए हैं. केंद्र सरकार ने भी नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. अगले साल से यह बीज किसानों को उपलब्ध हो जाएगा. ये किस्में उच्च तापमान सहिष्णु, रोग प्रतिरोधी और उच्च उपज देने वाली हैं. इसकी खासियत यह है कि यह पास्ता, चाउमीन और अन्य चीनी व्यंजनों के लिए उपयुक्त है और इसका स्वाद भी गज़ब का होगा.
इसे भी पढ़ें: गेहूं की फसल से ज्यादा पैदावार पाने के लिए करें इन 8 क़िस्मों की बुवाई
एक रिपोर्ट के अनुसार, नया बीज एमपी वैरायटी रिलीज कमेटी द्वारा जारी किया जाता है. इसके बाद भारत सरकार से अधिसूचना पर अनुसंधान केंद्र के पास मौजूद बीज कृषि विश्वविद्यालय को दे दिए जाते हैं.
विश्वविद्यालय किसी भी केंद्र में बीजों को गुणा करके ब्रीडर सेड (Breeder Sed) बनाते हैं. यह सेड विश्वविद्यालय द्वारा बीज निगम को प्राप्त होता है, जिसे बीज निगम फाउंडेशन शेड बनाकर किसानों को उपलब्ध कराया जाता है.