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Updated on: 12 October, 2021 2:37 PM IST
Silk Worm

भारत रेशम के मामले में हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रहा है. अगर इतिहास पर भी नज़र डालें, तो भारत रेशम और उससे बने वस्त्रों का निर्यात करता आया है. बीते कुछ समय में इसकी बढ़ती मांग और इसमें मुनाफे की वजह से अधिकतर लोगों का झुकाव इस ओर बढ़ता जा रहा है.

कोरोना महामारी के दौर से गुजर रहे लोगों ने आर्थिक तंगी को महसूस करते हुए अब ऐसे क्षेत्र में अपना किस्मत आजमाने लगे हैं.  खेती से हो रही आमदनी को देखते हुए कितने ही नौजवान अपनी अच्छी-ख़ासी नौकरी छोड़कर खेतों की ओर रुख कर रहे हैं. खेती-बाड़ी से जुड़ा एक ऐसा ही काम है, जिसे शुरू करके अच्छी कमाई की जा सकती है.

वहीं, आज के युवा कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण की मदद से अवसर खोजने का प्रयास कर रहे हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, खेती पारम्परिक तरीके से ना करते हर आर्गेनिक फ़ार्मिंग या अन्य तरह की फसलों को उपजा कर इसे पैसे कमाने का जरिया भी समझने लगे हैं. पारम्परिक खेती यानि धान-गेहूं की खेती के अलावा, लोगों का ध्यान अब छोड़ कीट पालन यानि सिल्क कल्टीवेशन को और भी जाने लगा है.

आजकल खेती-किसानी एक उद्योग बनकर उभर रही है. लोग नए तरह की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाने लगे हैं. खेती करना केवल गेहूं-चावल की खेती करना भर नहीं रह गया है. कई और तरह के उद्योग भी इसमें शामिल हैं जैसे- पशुपालन, मछली पालन, मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट, डेयरी उद्योग समेत ना जाने कितने काम-धंधे हैं, जिनसे आज किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं.

खेतीबाड़ी से जुड़े कामों में एक काम है रेशम के कीट पालन. कच्चा रेशम बनाने के लिए रेशम के कीटों का पालन रेशम उत्पादन (Sericulture) या रेशम कीट पालन कहलाता है. जहां भारत दुनिया भर में मुख्य फसलों की उपज के लिए मशहूर है, वहीं रेशम उत्पादन के मामले में  भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. यह हमारे और देश के किसान और ऐसे युवा जो इस क्षेत्र में आकर एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं, उनके लिए गर्व की बात है.

यहां हर किस्म का रेशम पैदा होता है. भारत में 60 लाख से भी अधिक लोग अलग-अलग तरह के रेशम कीट पालन में लगे हुए हैं. भारत में केन्द्रीय रेशम रिसर्च सेंटर बहरामपुर में साल 1943 में बनाया गया था. इसके बाद रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1949 में रेशम बोर्ड की स्थापना की गई. मेघालय में केन्द्रीय इरी अनुसन्धान संस्थान और रांची में केन्द्रीय टसर अनुसन्धान प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई.

कमा सकते हैं शानदार मुनाफा

भारत सरकार रेशम कीट पालन की ट्रेनिंग देने और आर्थिक मदद करने के लिए सदैव किसानों के साथ खड़ी रहा है. इसके अलावा, सरकार रेशम कीट पालन से जुड़ा साजो-सामान, रेशम कीट के अंडे, कीटों से तैयार कोया को बाजार मुहैया करवाने आदि में मदद करती है.

भारत में रेशम की खेती तीन प्रकार से होती आई है- मलबेरी खेती, टसर खेती व एरी खेती. रेशम एक कीट के प्रोटीन से बना रेशा है. सबसे अच्छा रेशम शहतूत, अर्जुन के पत्तों पर पलने वाले कीड़ों के लार्वा से बनाया जाता है. शहतूत के पत्ते खाकर कीट जो रेशम बनाता है, उसे मलबरी रेशम कहते हैं.

हमारे यहां शहतूत रेशम का उत्पादन कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू व कश्मीर और पश्चिम बंगाल में किया जाता है. वहीं कई राज्य ऐसे भी हैं जहां शहतूत वाले रेशम का उत्पादन नहीं होता है. जैसे- झारखण्ड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश तथा उत्तर-पूर्वी राज्य.

रेशम से बनने वाले वस्त्र

प्राकृतिक प्रोटीन से बना रेशम का धागा अपने मुलायमपन और चमक रंगों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. रेशम के कुछ प्रकार के रेशों से वस्त्र बनाए जा सकते हैं. इन प्रोटीन रेशों में मुख्यतः फिब्रोइन (fibroin) होता है.ये रेशे कुछ कीड़ों के लार्वा द्वारा निर्मित किया जाता है. सबसे उत्तम रेशम शहतूत के पत्तों पर पलने वाले कीड़ों के लार्वा द्वारा बनाया जाता है. रेशम ( silk) या सिल्क दुनिया का सबसे ज्यादा चमकीला और सुन्दर प्राकृतिक रेशा है. 

रेशम में नमी या पसीना सोखने की जबरदस्त खूबी होती है. पसीना और नमी के कारण त्वचा में कई प्रकार के इन्फेक्शन होने की सम्भावना होती है. रेशम से बने कपड़े पहनने से स्किन सूखी रहती है और त्वचा की कई परेशानियों से बचाव होता है.

English Summary: The increasing demand for silk caught the attention of the youth
Published on: 12 October 2021, 02:47 PM IST

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