केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे "अरोमा मिशन" में अब हिमाचल प्रदेश सरकार सहयोग करने जा रही है. अरोमा मिशन, लैवेंडर की खेती के लिए एक ऐसी पहल है जो जम्मू और कश्मीर में किसानों के लिए वरदान साबित हुई है.
इसी को देखते हुए अब हिमाचल सरकार ने भी केंद्र सरकार की अरोमा मिशन में सहयोग करने का फैसला किया है. जम्मू-कश्मीर की जलवायु परिस्थितियों के जैसी ही चंबा सहित हिमाचल के कई क्षेत्रों की जलवायु परिस्थितियां हैं. ऐसे में हिमाचल सरकार इस पहल की सफलता को राज्य में बड़े पैमाने पर दोहराने का लक्ष्य देख रही है.
ऐसा माना जा रहा है कि लैवेंडर की खेती की यह पहल किसानों के साथ-साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा देगी. इसको लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय राज्य मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान डॉ. जितेंद्र सिंह के साथ टेलीफोन पर बातचीत की. केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्य को परियोजना के लिए किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के सहयोग से, "अरोमा मिशन" कृषि क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. सीएम सुखविंदर सिंह ने कहा कि इस पहल में किसानों के जीवन को बदलने की क्षमता है.
सीएम सुखविंदर सिंह ने मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को इस मामले को संबंधित मंत्रालय के समक्ष उठाने और परियोजना को जमीन पर लागू करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है.
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लैवेंडर की खेती
लैवेंडर की खेती को बैंगनी क्रांति के रूप में भी जाना जाता है. ये पहाड़ी राज्यों के किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो रहा है. लैवेंडर एक बारहमासी पौधा है. इस छोटे पौधे की लम्बी टहनियां होती हैं. इसमें छोटे-छोटे पर्पल कलर के फूल उगते हैं, उन्हें ही लैवेंडर कहा जाता है. लैवेंडर का प्रयोग चाय, कुकीज और मिठाइयों जैसी खाने की चीज़ों के साथ-साथ, घर सजाने में भी किया जाता है. इसकी मनमोहक खुशबू से आस-पास का वातावरण काफी अच्छा हो जाता है. इसलिए इसका ज्यादा उपयोग परफ्यूम बनाने में किया जाता है.