कृषि विज्ञान केन्द्र के डॉ. बी. एस. किरार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख के निर्देशन में एवं डॉ. डी. पी. सिंह एवं डॉ. आर. के. जयासवाल द्वारा विगत दिवस ग्राम गुखौर में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन उड़द के खेतों पर कृषकों के साथ भ्रमण किया गया. भ्रमण और संगोष्ठी के दौरान कृषकों को उड़द की फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों बिहारी रोमिल इल्ली, तम्बाकू इल्ली, फली बेधक फलीभृंग आदि इत्तिलयां किस प्रकार से फसल को नुकसान पहुंचाती हैं इसकी जानकारी दी. यह शुरू में पत्तियों को खाती हैं बाद में फूल एवं फलियों को हानि पहुंचाती हैं.
जिसके नियंत्रण के लिए क्वलीनालफास 2 मिली/ली. पानी 500 ली. या प्रोफेनोफास 50 ई.सी. 400 मिली प्रति एकड़ का घोल बनाकर छिड़काव करें. इसी प्रकार कुछ खेतों में खड़ी फसल में पीला मोजेक रोग का प्रकोप पाया गया जो सफेद मक्खी से फैलता है. सफेद मक्खी एवं हरा फुदका के नियंत्रण के लिए थायोमेथाक्जाम या इमिडाक्लोप्रिड नामक दवा 80-100 मिली. दवा प्रति एकड़ 200 ली. पानी का घोल बनाकर छिड़काव करना फायदेमंद है.
उड़द फसल के प्रमुख रोग मुख्यतः पीला चित्ता रोग, पर्णव्यकुंचन रोग, सर्कोस्पोरा पत्ती बुंदकी रोग, श्याम वर्ण, चारकोल झुलसा (मेक्रोफेमिना) एवं चूर्णी फफूंद आदि रोग लगते हैं. जिसके निदान के लिए फसल में रोग लगने पर बीमारियों के लिए चूर्णी फफूंद के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड 2.5-3 कि.ग्रा./हे. या घुलनशील गंधक 3 ग्राम/ली. पानी का छिड़काव एवं अन्य बीमारियों के लिए कार्बेन्डाजिम या बेनलेट या मेन्कोजेब 2 ग्राम/ली. दवा पानी 500 ली./हे. पानी प्रयोग करें.
पीले पौधे खेत में एक दो जगह दिखाई देने पर सावधानी से निकाल कर जमीन में गाड़ दें और सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु मेटासिस्टॉक्स 1 मिली. या डाईमेथोऐट 2 मिली. प्रति ली. पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें.
कृषि जागरण डेस्क