Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 6 May, 2019 6:08 PM IST

बीते कई महीनों से गुजरात में जल संकट पैदा हो गया है जिसके कारण वहां की कई तरह की फल सब्जियों की खेती प्रभावित हो गई है. जिसका सीधा असर प्याज की खेती पर देखने को मिला है और इसकी बुवाई में 80 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है. अगर राज्य के कृषि विभाग की बात करें तो बुवाई कम होने की वजह से अब सूबे में प्याज के दाम आसमान छूने लगे है. इसकी एक वजह भारत-पाकिस्तान के बीच हुए पिछले महीनों तनाव भी है,क्योंकि वहां पर बड़े व्यापक बड़े पैमाने पर गुजरात समेत कई राज्यों से प्याज पहुंचता था लेकिन गुजरात के सब्जी व्यापारियों ने इस बात का एलान कर दिया था कि वे पाकिस्तान को सब्जियां नहीं बेचेंगे. बता दे कि खासतौर पर यहां का टमाटर पाकिस्तान जाता था.

गुजरात में गहराया जल संकट

पिछले कुछ महीनों से राज्य में प्याज की खेती कम हो गई है, इसके पीछे की मुख्य वजह गुजरात में पानी की कमी होना है. पानी के नहीं होने के चलते किसानों ने प्याज की बुवाई घटा दी जिसका सीधा प्रभाव उत्पादन और बाजार पर पड़ा है. वहीं बुवाई कम होने कि वजह से प्याज के दाम भी इस बार काबू के बाहर हो सकते है. इसका सीधा असर आम जनमानस पर पड़ सकता है.

बुवाई की लागत नहीं हुई वसूल

गुजरात के किसानों ने महरुला और अमरेली में बड़ी संख्या में इस सीजन में प्याज का विकल्प इसीलिए नहीं चुना, क्योंकि पिछले साल भी उनकी बुवाई की लागत वसूल नहीं हो पाई थी. इससे उनको भारी नुकसान हुआ था, कई किसानों को प्याज के दाम एक रूपये से दो रूपये मिले थें.

पड़ोसी राज्यों से चुनौती

किसानों का कहना है कि पिछले साल मिले खराब फसलों के दामों ने उनको प्याज की फसल बुवाई करने से डरा दिया है.  किसान आज राष्ट्रीय स्तर पर गतिशीलता की ओर इशारा कर रहे है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्य कम कीमत और उच्च गुणवत्ता के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहे है. इस प्रकार किसानों का कहना है कि थोक बाजार में महुवा में जुलाई से अगस्त तक प्याज  2.5 रूपये से 6 रूपये प्रतिकिलो ग्राम के हिसाब से प्याज मिलता है. जो कि वर्तमान में बढ़कर 20 रूपये प्रति किलोग्राम तक हो गया है. बता दें कि भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और राजस्थान के बाद गुजरात पांचवा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है.

English Summary: Tears will be sprayed by sowing of ground onion in Gujarat
Published on: 06 May 2019, 06:11 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now