Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 19 February, 2020 12:41 PM IST
Sweet Petha

वर्गीय प्रजाति के फल से बनने वाला पेठा कद्दू भारत में बहुत लोकप्रिय है. इसका उपयोग आम तौर पर सब्जियों की अपेक्षा मिठाई बनाने में होता है. मूलरूप से इसकी खेती सबसे अधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होती है, लेकिन नए तकनीकों के आने से अब इसकी खेती अन्य राज्यों जैसे बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान में भी होने लगी है. हल्के सफेद रंग की पाउडर परत वाले ये फल 1-2 मीटर लंबे भी हो सकते हैं.

क्षेत्रिय भाषाओं में इन नामों से जाना जाता है पेठा (Petha is known by these names in regional languages)

पेठा कद्दू को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कुष्मान या कुष्मांड फल बोला जाता है तो बिहार में इसे भतुआ कोहड़ा, भूरा कद्दू कहा जाता है. हालांकि पेठा मिठाई में उपयोग होने के कारण इसे आम जन में पेठा कद्दू ही कहा जाता है.

बुवाई का उचित समय (Right time of sowing)

इसकी बुवाई का सही वक्त फरवरी से मार्च या जून से जुलाई है. वैसे पहाड़ी क्षेत्रों में इसे मार्च से अप्रैल महीने के बीच भी बोया जाता है.

मिट्टी एवं खाद (Soil and compost)

इसकी खेती के लिए दोमट व बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है. बुवाई से पहले खेतों की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना फायदेमंद है. अगर कल्टीवेटर का उपयोग किया जा रहा है तो जुताई 2 से 3 बार की जाना चाहिए. जुताई के बाद पाटा लगाना ना भूलें. सड़ी हुई गोबर या नीम की खली का उपयोग खाद के रूप में किया जा सकता है. 

यह खबर भी पढ़ें : मटर के साथ कद्दू की खेती करके बना लखपति

तुड़ाई का सही समय (Right harvest time)

पेठा कद्दू की तुड़ाई का सही समय बुवाई के लगभग 3 से 4 महीने बाद का है. यह देखना ज़रूरी है कि फलों की तो तुड़ाई से पहले फलों पर सफेद रंग की परत चढ़ चुकी है या नहीं. वैसे आप चाहें तो तुड़ाई से पहले कारोबारियों से बात कर सकते हैं. अक्सर कारोबारी तैयार फसल खरीदने के लिए उत्सुक रहते हैं. तुड़ाई के लिए तेज धारी चाकू का उपयोग करें.

English Summary: Sweet Petha scientific farming and profit know more about it
Published on: 19 February 2020, 12:44 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now