Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 19 February, 2020 12:41 PM IST
Sweet Petha

वर्गीय प्रजाति के फल से बनने वाला पेठा कद्दू भारत में बहुत लोकप्रिय है. इसका उपयोग आम तौर पर सब्जियों की अपेक्षा मिठाई बनाने में होता है. मूलरूप से इसकी खेती सबसे अधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होती है, लेकिन नए तकनीकों के आने से अब इसकी खेती अन्य राज्यों जैसे बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान में भी होने लगी है. हल्के सफेद रंग की पाउडर परत वाले ये फल 1-2 मीटर लंबे भी हो सकते हैं.

क्षेत्रिय भाषाओं में इन नामों से जाना जाता है पेठा (Petha is known by these names in regional languages)

पेठा कद्दू को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कुष्मान या कुष्मांड फल बोला जाता है तो बिहार में इसे भतुआ कोहड़ा, भूरा कद्दू कहा जाता है. हालांकि पेठा मिठाई में उपयोग होने के कारण इसे आम जन में पेठा कद्दू ही कहा जाता है.

बुवाई का उचित समय (Right time of sowing)

इसकी बुवाई का सही वक्त फरवरी से मार्च या जून से जुलाई है. वैसे पहाड़ी क्षेत्रों में इसे मार्च से अप्रैल महीने के बीच भी बोया जाता है.

मिट्टी एवं खाद (Soil and compost)

इसकी खेती के लिए दोमट व बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है. बुवाई से पहले खेतों की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना फायदेमंद है. अगर कल्टीवेटर का उपयोग किया जा रहा है तो जुताई 2 से 3 बार की जाना चाहिए. जुताई के बाद पाटा लगाना ना भूलें. सड़ी हुई गोबर या नीम की खली का उपयोग खाद के रूप में किया जा सकता है. 

यह खबर भी पढ़ें : मटर के साथ कद्दू की खेती करके बना लखपति

तुड़ाई का सही समय (Right harvest time)

पेठा कद्दू की तुड़ाई का सही समय बुवाई के लगभग 3 से 4 महीने बाद का है. यह देखना ज़रूरी है कि फलों की तो तुड़ाई से पहले फलों पर सफेद रंग की परत चढ़ चुकी है या नहीं. वैसे आप चाहें तो तुड़ाई से पहले कारोबारियों से बात कर सकते हैं. अक्सर कारोबारी तैयार फसल खरीदने के लिए उत्सुक रहते हैं. तुड़ाई के लिए तेज धारी चाकू का उपयोग करें.

English Summary: Sweet Petha scientific farming and profit know more about it
Published on: 19 February 2020, 12:44 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now