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Updated on: 11 June, 2025 4:37 PM IST
AI तकनीक से किसान की कमाई होगी ज्यादा, खर्च होगा कम (Image Source: Freepik)

AI Farming: किसानों की कमाई का जरिया खेती-किसानी और पशुपालन है, लेकिन भारत के ज्यादातार किसान गन्ने की खेती करते हैं, जो उनकी आय का मुख्य स्त्रोत है. अक्सर देखा गया है कि गन्ना किसानों को मौसम की मार या फिर अन्य परेशानियों के चलते पैदावार में गिरावट आती है. इसी क्रम में राज्य सरकार अपने-अपने स्तर पर किसानों की मदद करती है. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को गन्ने की फसल में नई और आधुनिक तकनीकों को अपने पर जोर दिया है. दरअसल, राज्य सरकार किसानों को खेती में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का उपयोग करने पर बढ़ावा दे रही है.

बता दें कि इस आधुनिक पहल का उद्देश्य न केवल किसानों की फसल उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है, बल्कि राज्य में चीनी मिलों समेत किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सशक्त करना है.

गन्ने की खेती में एआई का प्रवेश

महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन और चीनी मिलों की गिरती स्थिति को सुधारने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है. वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (VSI) और एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट ट्रस्ट, बारामती ने एक अहम समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए है, जिसका उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक को किसानों तक पहुंचाना है. इस पहल से न केवल गन्ने की पैदावार बढ़ेगी, बल्कि चीनी उद्योग की आर्थिक सेहत में भी सुधार आने की उम्मीद है.

तकनीक हर किसान तक पहुंचेगी

मीडिया रिर्पोटस के मुताबिक, इस समझौते की घोषणा करते हुए वीएसआई के अध्यक्ष और देश के पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने बताया कि अब समय आ गया है कि गन्ना उत्पादन में तकनीक का इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जाए उनका कहना है कि वेस्ट इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन और नेशनल कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन भी इस प्रयास में सहायक बनेंगे. उनका मानना है कि गन्ने की खेती के क्षेत्रफल में तो वृद्धि हुई है, लेकिन उत्पादन में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया है. ऐसे में तकनीक के माध्यम से इस अंतर को पाटने का प्रयास किया जाएगा.

बारामती मॉडल बदलाव की मिसाल

बारामती स्थित एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट ट्रस्ट पहले ही इस दिशा में कदम बढ़ा चुका है. 2023 से शुरू हुआ ‘प्रोजेक्ट फार्म वाइब्स’ गन्ने की खेती में एआई के प्रयोग का एक सफल उदाहरण बन चुका है. यह परियोजना माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के सहयोग से चल रही है, जिसमें एआई आधारित टूल्स का इस्तेमाल किसानों को खेतों से जुड़ी सटीक जानकारी देने में किया जा रहा है. साथ ही, अब इसे ओपन-सोर्स भी कर दिया गया है. इससे छात्रों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और यहां तक कि ग्रामीण किसानों को भी फायदा होगा यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन चुका है, जो कृषि डेटा को उपयोगी जानकारी में बदलने की ताकत रखता है. इससे खेती के खर्च में भारी कटौती हो सकती है और उत्पादकता में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती है.

एआई से बढ़ेगी 30 प्रतिशत पैदावार

खबरों की मानें तो AI तकनीक की मदद से खेतों की स्थिति की निगरानी, मिट्टी और मौसम का विश्लेषण, फसल की सेहत की पहचान और सिंचाई का सही प्रबंधन संभव हो पाता है. इससे न सिर्फ पानी की बर्बादी रुकती है, बल्कि पौधे को समय पर सही मात्रा में पोषण और देखभाल मिलती है. विशेषज्ञों के अनुसार, AI तकनीक के जरिए गन्ने का उत्पादन प्रति एकड़ करीब 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, जबकि पानी की खपत 50 प्रतिशत तक कम की जा सकती है.

लेखक: रवीना सिंह, इंटर्न, कृषि जागरण

English Summary: Sugarcane crop farmers increase yield using AI technology and earn more at lower cost in Maharashtra farming plan
Published on: 11 June 2025, 04:40 PM IST

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