भारत में चीनी का उत्पादन बड़े स्तर पर होता है, लेकिन इस साल चीनी के उत्पादन में 5.4 प्रतिशत की कमी आई है. व्यापार संगठन के अनुसार, भारत की चीनी मिले इस साल केवल 3 करोड़ टन ही चीनी का उत्पादन कर सकी हैं क्योंकि बाजार में गन्ने की भारी कमी आ गई है. इस सीजन बैमौसम बरसात के चलते देश में गन्ने का उत्पादन बहुत ही कम हुआ है. गन्ना किसानों ने भी सरकार से पैदावार में आई कमी को लेकर मुआवजे की मांग की है. इस कम उत्पादन के चलते सरकार को जनता की अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए चीनी का आयात करना पड़ रहा है.
भारतीय चीनी मिल संगठन ने कहा कि मौजूदा 532 चीनी के मिल में से लगभग 400 मिल बंद हो चुकी हैं. महाराष्ट्र जहां सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन होता है, वहां की भी मुख्य चीनी मिले बंद हो चुकी हैं. संगठन के अनुसार, महाराष्ट्र राज्य के चीनी मिलों के उत्पादन में लगभग 30 लाख टन चीनी के उत्पादन में कमी आई है. चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में भी चीनी का उत्पादन सिर्फ 10 मिलियन टन रहने की उम्मीद है, यह पिछले वर्ष की तुलना में दो मिलियन तक कम है.
मुंबई के एक व्यापारी ने बताया कि चीनी का उत्पादन गिरने के बाद हमारे पास इसका निर्यात करने के लिए बिल्कुल भी भंडारण नहीं है. हालांकि भारत सरकार ने 60 लाख टन के उत्पादन को निर्यात करने का फैसला लिया है, जिसका असर देश में चीनी की कीमतों पर पड़ सकता है.
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भारत विश्व के कई देशों में चीनी का निर्यात करता है. इस वर्ष निर्यात कम होने से वैश्विक स्तर पर चीनी के दामों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है. दुनिया के तमाम देश अपनी इस चीनी की कमी की पूर्ती के लिए प्रतिद्वंदी देश ब्राजील और थाईलैंड से चीनी का निर्यात कर सकते हैं.