किसान खुश रहेगा, तो देश खुश रहेगा और अगर किसान उदास रहा तो देश उदास रहेगा, लिहाजा किसानों को खुश व संबल रखने की दिशा में समय-समय पर केंद्र सरकार की तरफ से अनेकों प्रयास किए जाते हैं. इसी कड़ी में केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को समृद्ध करने की दिशा में एक ऐसा एहम कदम उठाया गया है. केंद्र सरकार की तरफ से किसान भाइयों के लिए क्या कदम उठाया है, जानने के लिए पढ़िए इस पूरे लेख को.
दरअसल, भारतीय चीनी की बढती हुई मांग को लेकर उसके आंकड़ों में तेजी से इजाफा हो रहा है, इस बीच केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के बकाये का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है. जिससे निर्यात प्रोत्साहन और एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने से चीनी मिलों को भारी राहत मिली है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने गन्ना की खेती (Sugarcane Farming) करने वाले किसानों के गन्ना बकाये का समय पर भुगतान करने की दिशा में एवं कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरप्लस चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. इससे आने वाले दिनों में गन्ना किसानों को उनके बकाया भुगतान करने में सहूलियत होगी. केंद्र सरकार की पहल से गन्ना किसानों के साथ चीनी उद्योग को काफी लाभ होगा.
गन्ने की रिकॉर्ड खरीद (Record Purchase Of Sugarcane)
मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, चीनी मिलों ने सितंबर में समाप्त होने वाले चालू सत्र में 91,000 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा. मौजूदा सीजन में चीनी मिलों द्वारा रिकॉर्ड 90,872 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा गया है और किसानों को लगभग 81,963 करोड़ गन्ना बकाया का भुगतान किया गया है. इसकी तुलना में चीनी मिलों ने पिछले सीजन में 75,845 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा था
बता दें पिछले कुछ महीनों में चीनी मिलों ने डिस्टिलरियों व तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की बिक्री से 22,000 करोड़ रुपये का आय अर्जित की गई थी जो की अब मौजूदा चीनी सत्र 2020-21 में भी चीनी मिलों द्वारा ओएमसी को एथेनॉल की बिक्री से लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा है. इससे चीनी मिलों और गन्ना किसानों को बकाये का समय से भुगतान करने में सहायता मिली है.
सरकार ने क्यों उठाया ये कदम (Why Did The Government Take This Step)
चीनी की समस्या से निपटने के लिए एक स्थायी समाधान खोजने के लिए, सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जो पेट्रोल के साथ मिश्रित होता है. यह न केवल हरित ईंधन के रूप में कार्य करता है बल्कि कच्चे तेल के आयात के कारण विदेशी मुद्रा की बचत भी करता है.
सरप्लस चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित किया (Converting Surplus Sugar To Ethanol)
बता दें 2018-19 और 2019-20 सीज़न में, लगभग 3.37 लाख टन और 9.26 लाख चीनी को इथेनॉल में बदला गया था.
वर्तमान में 20 लाख टन से अधिक की खपत होने की संभावना पाई गई है. सरकार के मुताबिक आने वाले समय में चीनी सीजन में लगभग 35 लीटर चीनी को डायवर्ट किए जाने का अनुमान है, जिसमें कहा गया है कि यह 2024-25 तक 60 लाख लीटर तक बढ़ सकता है.