मध्य प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का दूसरा बड़ा राज्य है. मध्य प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 307.56 लाख हेक्टेयर में से लगभग 155.91 लाख हेक्टेयर ही कृषि योग्य है. इसमें से वर्तमान में लगभग 145.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलें और लगभग 120.25 लाख हेक्टेयर में रबी फसलें ली जा रही हैं. प्रदेश में कुल सिंचित क्षेत्रफल शासकीय एवं निजी स्त्रोतों से लगभग 110.97 लाख हेक्टेयर है.
मध्य प्रदेश में बोई जाने वाली लगभग सभी फसलों ने विगत एक डेढ़ दशक में उत्पादन तथा उत्पादकता के क्षेत्र में उच्च कीर्तिमान स्थापित किया है. प्रदेश की धान की किस्म को GI टैग भी मिल चुका है. वहीं दूसरी तरफ कृषि विकास की क्षेत्र में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार तकरीबन 56 हजार गांवों की कृषि विकास योजना तैयार करने जा रही है. यानि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश की बढ़ती कृषि मांग, अच्छी उपज और उच्च श्रेणी को देखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है.
कृषि में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसे और भी बेहतर बनाया जा सकता है. जिसके तहत सरकार अब इस नतीजे पर पहुँच चुकी है की आने वाले दिनों में 56 हज़ार गांव को इस योजना के तहत विकसित किया जाएगा. इसमें आगामी पांच साल की जरूरतों का आकलन किया जाएगा और फिर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अनुसार योजना बनाकर उन्हें गांव में लागू किया जाएगा.
कृषि विकास योजना में गांव की अन्य मुख्य रोजगार जैसे- कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, उद्यानिकी, भूमि उपयोग, सिंचाई, बिजली सहित अन्य जानकारियां एकत्र की जाएंगी. इसके साथ ही गांव में अधोसंरचना, स्वच्छता, पेयजल की स्थिति की जानकारी भी जुटाई जाएगी. इसके लिए कृषि विभाग ने अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का काम भी प्रारंभ कर दिया है.
सरकार की इस योजना और उस पर हो रहे कामों को देखते हुए यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश कृषि विभाग अन्य राज्यों से कितना आगे निकल चुका होगा.
प्रदेश सरकार ने तय किया है कि जिस तरह से गेहूं, धान सहित अन्य फसलों के उत्पादन में मध्य प्रदेश न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि अन्य राज्यों की भी आपूर्ति कर रहा है, उसी तरह अब अन्य फसलों पर ध्यान दिया जाए, ताकि अन्य फसलों की भी उपज बढ़ाई जा सके. इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी.
दरअसल, एक तरह की फसल लगातार लगाने से उत्पादन तो प्रभावित होता है भूमि की क्षमता पर भी असर पड़ता है. विशेषज्ञों का मानना है अलग-अलग फसलों की बुवाई से भूमि की क्षमता बढ़ती है और फसलों की उपज भी अच्छी होती है.
यही वजह है कि केंद्र सरकार भी कृषि में फसलचक्र परिवर्तन पर जोर दे रही है. इसे बढ़ावा देने के लिए गांवों में किसानों द्वारा की जा रही खेती की जानकारी लेकर कार्य योजना बनाना जरूरी है. कृषि विभाग ने तय किया है कि प्रदेश के सभी 56 हजार 806 गांवों की समग्र कृषि विकास योजना तैयार की जाएगी.
इसमें खेती से जुड़ी सभी जानकारियां सॉफ्टवेयर में दर्ज रहेंगी. सरकार इसके आधार पर ही आगामी पांच साल की कार्ययोजना तैयार करेगी. आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के रोडमैप और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में भी इस तरह की कार्ययोजना बनाने की बात कही गई है.
दलहन के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों की उपज बढ़ाने पर रहेगा ज़ोर
शिवराज सरकार चाहती है कि किसान पंरपरागत कृषि की जगह अब उन फसलों पर अधिक ध्यान दें, जिससे वहां के किसानों की आय बढ़ सके. दलहन फसलों का क्षेत्र बढ़ाने की कार्ययोजना विभाग तैयार कर रहा है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा है कि किसान उद्यानिकी फसलों पर ध्यान दें. इसके लिए विभिन्न् योजनाओं में अनुदान भी दिया जा रहा है. इसके साथ ही किसानों को उपज की उच्च श्रेणी के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. केंद्र सरकार की कृषि अधोसंरचना निधि से इसके लिए राशि भी दिलाई जा रही है.