नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 'सरस आजीविका मेला, 2022' का उद्घाटन करने के बाद, केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री, गिरिराज सिंह ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय को तीन राज्यों से उत्पादों और शिल्प क्षेत्रों में स्टार्टअप के लिए 60,000 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं.
गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत में स्टार्टअप बूम ने देश में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के लिए भी आंदोलन का रास्ता बनाना शुरू कर दिया है. पिछले आठ वर्षों में एसएचजी सदस्यों की संख्या 2.35 करोड़ से बढ़कर लगभग 9 करोड़ हो चुकी है और 2024 तक इसे 10 करोड़ बनाने का लक्ष्य है.
गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में लाल किले की प्राचीर से स्टार्टअप इंडिया की शुरूआत की थी और 2014 में देश में 400 स्टार्टअप थे जो आज बढ़कर 80,000 से ज्यादा हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि स्टार्टअप इकोसिस्टम के क्षेत्र में भारत का स्थान विश्व में तीसरा है और देश में 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न सक्रिय हैं. मंत्री ने कहा कि जल्द ही दीदियों (महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य) के पास अपने स्टार्टअप होंगे क्योंकि उनका मंत्रालय इन प्रस्तावों पर सक्रियता से विचार कर रहा है.
गिरिराज सिंह ने दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई–एनआरएलएम) के प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि 2014 में एसएचजी के 2.35 करोड़ सदस्य थे, लेकिन पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के सक्रिय समर्थन से एसएचजी के सदस्यों की संख्या बढ़कर लगभग 9 करोड़ हो चुकी है. उन्होंने कहा कि 2024 तक इसे 10 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है. उन्होंने स्मरण किया कि जब वह एमएसएमई मंत्री थे, तब खादी की बिक्री लगभग 8,000 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये को पार कर चुकी है, सिर्फ इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लोगों से खादी का कम से कम एक उत्पाद खरीदने की अपील की गई.
मंत्री ने यह भी कहा कि 2014 से पहले एसएचजी का संचयी ऋण लगभग 80,000 करोड़ रुपये था और पिछले आठ वर्षों में बैंक लिंकेज 5.7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है, जिसमें नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) मात्र 2.1 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि एनपीए को एक प्रतिशत से नीचे लाने की कोशिश की जा रही है.
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि एनआरएलएम ग्रामीण एसएचजी महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे व्यवसायों का समर्थन देने की कोशिश कर रहा है जो खाद्य उत्पादों, हस्तशिल्पों और हैंडलूम आदि का उत्पादन करने में लगे हुए हैं. उत्पादकों और बाजारों को आपस में लिंक करने के प्रयासों के भाग के रूप में, एनआरएलएम और एसआरएलएम ने कई चैनलों जैसे सरस गैलरी, राज्य के विशिष्ट खुदरा आउटलेट, जीईएम और फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के माध्यम से एसएचजी और उसके सदस्य उद्यमियों के सहायक उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए गए हैं.
इसके अलावा, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भी स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजन और मीशो आदि पर पंजीकृत करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं. गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रत्येक महिला लाभार्थी को स्थानीय उत्पादों की बिक्री से प्रत्येक वर्ष कम से कम एक लाख रूपये की बचत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं है जब कुछ लखपति दीदियां करोड़पति दीदियां बन जाएंगी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की सोच का उल्लेख करते हुए,सिंह ने कहा कि आज स्वयं सहायता समूहों के सर्वश्रेष्ठ उत्पादों का निर्यात विभिन्न देशों में हो रहा है और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों और अन्य उपायों के माध्यम से उनके बेहतरीन उत्पादों के बारे में स्थानीय और वैश्विक स्तर पर ज्यादा से ज्यादा जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है.
नागेंद्र नाथ सिन्हा, सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि लगभग 8 करोड़ 62 लाख महिलाएं स्वयं सहायता समूहों की सदस्य हैं और 97 प्रतिशत ब्लॉकों में उनकी उपस्थिति है, जबकि उनमें से 85 प्रतिशत मंत्रालय के नेटवर्क से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं.
सिन्हा ने स्वयं सहायता समूहों और शिल्पकारों को सलाह दिया कि वे उपभोक्ताओं की मांग को समझें और उस आधार पर अपने उत्पादों में सुधार करें. उन्होंने कहा कि मंत्रालय विज्ञापन और एसएमएस के माध्यम से सरस मेले का प्रचार करेगा जिससे सभी प्रतिभागियों को बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं के सामने अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त हो सके. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले वर्ष सरस मेले में 4.32 करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी, जिसका इस वर्ष 6 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.
शैलेश कुमार सिंह, ओएसडी, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालय पूरे देश में एसएचजी नेटवर्क को मजबूत करने और एसएचजी सदस्यों को लखपति दीदियां बनाने वाले गिरिराज सिंह जी के सपने को साकार करने के लिए राज्य सरकारों के साथ समन्वय में काम कर रहा है. चरणजीत सिंह, अपर सचिव ने कहा कि इस वर्ष 26 राज्यों के 300 शिल्पकार 150 स्टालों के माध्यम से जनजातीय और अद्वितीय उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री कर रहे हैं. उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली में 28 अक्टूबर से 10 नवंबर, 2022 तक हस्तशिल्प भवन, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में आयोजित किए गए सरस फूड फेस्टिवल-2022 का भी उल्लेख किया.
प्रगति मैदान में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में सु लीना जौहरी, अपर सचिव, आर.पी. सिंह, निदेशक और ग्रामीण विकास मंत्रालय के कई अन्य अधिकारी भी शामिल हुए.