धान की कटाई के बाद किसानों से लेकर सरकार और जनता के सामने सबसे बड़ी समस्या आती है. पराली की बढ़ती समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की तरफ से कई सारे प्रयास किये जा रहे हैं.
आपको बता दें पराली न सिर्फ वातावरण को प्रदूषित करता है, बल्कि ज़मीन में मौजूद ख़निज पदार्थों को भी नष्ट करता है. जिससे जमीन की उर्वरता कम होती है और इसका असर फसलों के पैदावार पर होता है.
किसान अब तक पराली को आग लगाकर नष्ट करते आ रहे थे. जिससे पर्यावरण के साथ-साथ मिट्टी की उर्वकता पर भी असर पड़ता है, लेकिन अब किसानों को पराली की समस्या का विकल्प मिल गया है. आपको यह जान कर बेहद ख़ुशी होगी कि दक्षिण कोरिया की जानी-मानी कंपनी सैमसंग अब किसानों की मदद के लिए उनका और सरकार का साथ दे रही है. आपको बता दें सैमसंग पेपर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड किसानों की पराली से बिजली (Electricity Made From Straw) बनाने का काम करती है.
सैमसंग पेपर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड (Samsung Paper Industries Pvt Ltd) के वाइस प्रेसिडेंट जगन्नाथ शाह ने इस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सैमसंग साल 2017 के पहले से पराली से बिजली बनाने का काम कर रही है. उन्होंने बताया कि साल 1993 में उन्होंने अपनी पेपर मिल स्थापित की थी.
जिसके लिए वो सरकार से बिजली खरीदते थे, जो ₹8 प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदी जाती थी, लेकिन कुछ साल पहले जब पराली किसान, सरकार और जनता के लिए सर दर्द बनने लगी तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना अपनी फैक्ट्री में पराली से बिजली बनाने की यूनिट लगाई जाए.
पहले उन्होंने 3 मेगावाट बिजली बनाने का प्लांट लगाया. सफलता के बाद इसको और भी बेहतर और सफल बनाने के लिए एक और प्लांट की स्थापना की. अब वो दिन में पराली से 8 मेगावॉट बिजली बनाते हैं. एक सीजन में जगन्नाथ 70 हजार एकड़ की पराली खरीदकर उसे बिजली बनाते हैं. पराली को स्टोर करने के लिए उन्होंने 100 एकड़ जमीन अलग से रखी हुई है. जिस पर पूरे साल के लिए पराली का स्टोरेज किया जाता है.
हर साल बिजली उत्पादन की बात करें, तो वो लगभग 1 लाख 20 हजार क्विंटल पराली खरीदते हैं. जो लगभग ₹20 करोड़ की खरीदी जाती है. वो अपनी फैक्ट्री में हर रोज करीब डेढ़ लाख यूनिट पराली से बिजली उत्पादन कर रहे हैं. पहले जगन्नाथ सरकार से ₹8 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदते थे, लेकिन अब उनका पूरा खर्च लगाकर एक यूनिट बनाने में ₹5 खर्च होता है. इसमें प्रति यूनिट उनको 3 रुपये की बचत होती है. जब वो बाहर से बिजली खरीदते थे, तो ज्यादातर कट लगने की समस्या रहती थी.
आपको बता दें सैमसंग पेपर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड पेपर मिल के लिए बिजली का उत्पादन करती है. जिससे बिजली खरीदने की समस्या भी नहीं होती और किसानों की पराली की समस्या भी दूर हो रही है. बिजली की समस्या से पेपर मिल का काफी सारा वक़्त और काम दोनों प्रभावित होता था, लेकिन अब वो बिना किसी रुकावट के साथ काम कर सकते हैं.
जिससे कंपनी को काफी फायदा हो रहा है. उनकी खुद की बिजली 24 घंटे उपलब्ध रहती है. जो पेपर मिल में इस्तेमाल की जाती है. उन्होंने कहा कि हम ₹180 से 200 प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों से पराली खरीदते हैं. किसानों को भी ये तकनीक काफी पसंद आ रही है. किसानों के मुताबिक 1 एकड़ से लगभग 20 क्विंटल पराली निकल जाती है.
पराली की समस्या दूर होने से कई फायदे सामने निकल कर आए हैं. इससे न सिर्फ प्रदूषण पर अंकुश लग रहा है, बल्कि जो पराली रद्दी समझ कर जला दिया जाता था. वहीं, पराली अब किसानों के लिए एक्स्ट्रा इनकम का स्रोत बन गया है.
किसानों के लिए यह बहुत जरुरी होता है की वह आर्थिक रूप से मजबूत रहें ऐसे में पराली से होने वाली आमदनी किसानों के आर्थिक हालात को मजबूत करने में उनकी मदद करेगा साथ ही किसानों के हौसले को और भी ज्यादा मजबूत भी करेगा.