Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 11 October, 2019 6:13 PM IST

मसालों में मशहूर और सबसे महंगा माने जाने वाला केसर अब सिर्फ कश्मीर की वादियों में नहीं बल्कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भी उगाया जाएगा. दरअसल राज्य के वन विभाग ऊंचे इलाकों में केसर की खेती करने की योजना पर विचार कर रहा है. इससे पहले उत्तराखंड की धरती पर कश्मीर में पाए जाने वाले चिनार और ट्यूलिप की खेती सफल होने के बाद वन विभाग केसर की खेती की तैयारी में जुट गया है. अब जल्द ही वन विभाग की शोध टीम ज्ममू-कश्मीर में केसर के अध्ययन के लिए जाएगी और यह उम्मीद है कि इसी साल केसर की खेती का पहला प्रयोग उत्तराखंड के मुन्सियारी और गोपेश्वर में किया जाएगा.

गोपेश्वर में कश्मीर जैसा वातावरण

गोपेश्वर और मुन्सियारी यह दोनों इलाके उत्तराखंड में चीन सीमा के बेहद करीब है, केसर की खेती के सहारे राज्य में रहने वाले किसानों की आमदनी में काफी बढ़ोतरी होगी और साथ ही इससे पर्यटन में भी काफी इजाफा होगा. यहां के वैज्ञानिकों का कहना है कि परीक्षण के लिए मुन्सियारी के लिए और गोपेश्वर को इसीलिए चुना गया है क्योंकि इन दोनों जगहों पर वातावरण केवल कश्मीर जैसा है. जो कि समुद्रतल से लगभग 2200 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, केसर की खेती के लिए अनुकूल है.

दूरदराज इलाकों में होगी खेती

बता दें कि कश्मीर के मशहूर चिनाक और टयूलिप का विकास उत्तराखंड में बहुत पहले ही हो चुका है. यहां पर बीते एक साल पहले ही मुन्सियारी में टयूलिप के फूलों के पौधे लगाए गए थे जोकि काफी सफलतापूर्वक उगे और मार्च में फूल में तैयार हो गए. उसी तरह हल्दानी में चिनार के पौधे लगाए गए थे जिनका वृक्षारोपण काफी सफल रहा है. वही ज्यादातर पर्यटन केंद्रो पर टयूलिप के फूलों को लगाने की तैयारी है. इसी साल यहां पर केसर की खेती को शुरू करने का कार्य किया जाएगा. बता दें कि केसर सबसे महंगा मसाला है जो कि ज्यादातर दवाईयों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. फिलहाल देश में कश्मीर एक ऐसा इलाका है जहां पर केसर की खेती की जाती है जिसको देखने के लिए दूरदराज से सैलानी भी आते है.

English Summary: saffron in the litigants of Uttarakhand
Published on: 11 October 2019, 06:16 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now