हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में मध्य पहाड़ी क्षेत्र में एक किसान ने कश्मीरी केसर की खेती करने में कई तरह की सफलता को हासिल कर लिया है. इस बाजार में 5 से 8 लाख रूपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकने वाली केसर की जिले में सफल खेती से किसानों ने एक नई मिसाल कायम की है. इसकी खेती के लिए चमन लाल शर्मा ने बिल्कुल भी हार नहीं मानी है और सफलता हासिल की है. जब केसर में फ्लॉवरिंग हुई तो चमन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा है. साथ ही केसर की खेती की सफलता के बाद अन्य किसानों को भी आर्थिकी रूप से मजबूत करने के लिए यह खेती मील का पत्थर साबित हो सकती है. अगर सरकार यहां पर केसर की खेती को सही वातावरण और जलवायु क्षेत्र में बढ़ावा दें तो किसान इस खेती से अपना आर्थिक पक्ष मजबूत कर सकते है.
किसानों को होगा फायदा
केसर की खेती को लेकर किसानों में इस तरह की अवधारणा रहती है कि यह अन्य किसानों को भी आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है, अगर किसी भी तरह से सरकार यहां पर केसर की खेती को उपयुक्त वातावरण और जलवायु को बढ़ा दे तो किसान इससे अपनी आर्थिकी बढ़ा सकते है. इससे किसानों को काफी ज्यादा फायदा होगा.
केसर की खेती होगी शुरू
दरअसल केसर की खेती को लेकर किसानों में अवधारणा रहती है कि यह केवल बर्फ में ही उगती है, विशेषज्ञों के मुताबिक केसर का उत्पादन समुद्रतल से 1500 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर भी हो सकता है चमन लाल शर्मा ने केसर की खेती को लेकर पहले से ही इंटरनेट पर सर्च किया था.उन्होंने इंटरनेट पर केसर की खेती की जानकारी ली है. यहां पर किसानों ने केसर के बल्ब की बिजाई की और नवंबर महीने में इन पौधों में फ्लॉवरिंग शुरू हो गई है, एक फूल में तीन से चार रेशे केसर की प्राप्त हो रही है. आमतौर पर केसर के फूल से तीन से सात रेशे प्राप्त होते है.
क्या है पहचान
केसर के जामुनी रंग के फूल के बीच में जो लाल रंग के रेशे होते है उनमें से सबसे बढ़िया किस्म का केसर मिलता है. इसके शाही केसर के नाम से भी जाना जाता है, वैसे एक फूल में तीन से लेकर सात तक रेशे होते है, एक बार इसका बीज लगाकर वह 10 से 15 सालों तक पूरी तरह जीवित रहता है, चमन लाल शर्मा ने कश्मीर से उच्च गुणवत्ता वाला बीज 5 हजार रूपए किलोग्राम बीज मंगवाया है.