भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इस सप्ताह क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान करेगा, जिसमें आशंका जताई जा रही है कि आरबीआई रेपो रेट में 1 फीसदी तक का इज़ाफा कर सकता है. यदि ऐसा होता है, तो मौजूदा रेटो रेट बढ़कर 5.90 फीसदी तक पहुंच जएगा. रेपो रेट में बढ़ोत्तरी से इसका सीधा प्रभाव जनता की जेब में पड़ेगा.
रेपो रेट क्या है ? (What is repo rate)
रेपो दर वह दर है, जिस पर देश का केंद्रीय बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) वाणिज्य बैंक को वित्तीय तंगी की स्थिति में रुपए उधार देता है. रेपो रेट का उपयोग मौद्रिक अधिकारियों द्वारा मुद्रास्फीति (inflation) को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
भारत में रेपो रेट दर कितनी है?
देश में बढ़ती महंगाई के उच्च स्तर के कारण रेपो रेट की दरों में भी इजाफा देखने को मिला है. जून में जारी रेपो रेट को देखें, तो भारतीय रिजर्व बैंक ने 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. इसके साथ ही जून माह के बाद से रेपो रेट 4.40 से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था.
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रेपो रेट बढ़ने से क्या होगा असर
रेपो रेट बढ़ने से बैंकों का आरबीआई से लोन लेना और महंगा हो जाएगा, जिससे साफ है कि बैंक अपने ऋण का सारा बोझ आम लोगों पर डाल देगा. यानि की बैंकों से ग्राहकों का लोन लेना और भी महंगा हो जाएगा, जिसमें कार लोन, होम लोन, पर्सनल लोन आदि शामिल है. तो वहीं दूसरी तरफ रेपो रेट में बढ़ोतरी से ईएमआई (EMI) भी बढ़ जाएगी.