Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 23 September, 2019 5:05 PM IST

भारतीय सब्जी अनुसंधान ने अपनी 23 साल की मेहनत के बाद आखिरकार भिंडी की नई प्रजाति काशी ललिमा को विकसित करने में सफलता को हासिल किया है. यहां पर लाल रंग की भिंडी एंटी ऑक्साइड, आयरन और कैल्शियम समेत अन्य तरह के पोषक तत्वों से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है. यहां पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने अपनी इस सफलता को खास करार दिया है. यहां पर लाल रंग की भिंडी अभी तक पश्चिमी देशों में प्रचलन हो रही है जो कि भारत में आयात हो रही है. इसकी विभिन्न किस्मों में की कीमत 100 से 500 रूपये प्रति किलो तक ही है.

भारतीय किसानों को होगा फायदा

भारतीय किसान जल्द ही इसका उत्पादन बड़ी मात्रा में कर सकेंगे. इस साल दिसंबर से संस्थान में इसका बीज आम लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. पोषक तत्वों से भरपूर इस भिंडी के उत्पादन से न केवल भारतीय किसानों को फायदा होगा, बल्कि आम लोगों को भी पोषण की पूर्ति का बेहतर विकल्प मिलेगा.

भिंडी की नई प्रजाति पर कार्य शुरू

भारत में केवल हरी भिंडी ही प्रचलन में है. लाल रंग की भिंडी पश्चिमी देशों में ज्यादा प्रचलित है और भारत भी वहीं से अपने उपयोग के लिए इसको मंगवाता है. देश में इसकी किस्म विकसित हो जाने के बाद इसको आयात करने की कोई भी जरूरत नहीं पड़ेगी. भारतीय किसानों को इसकी खेती करके भारी मुनाफा होने की उम्मीद है. भिंडी की प्रजाति पर 1995-96  में ही कार्य शुरू हो गया था. उन्ही के मार्गदर्शन में काशी ललिमा का विकास शुरू हुआ है. उन्हीं के मार्गदर्शन में काशी ललिमा का तेजी से विकास शुरू हुआ है. 23 साल के लंबे प्रयास के बाद काफी सफलता मिली है. इस भिंडी का रंग बैगनी और लाल रंग का होता है. इस भिंडी की लंबाई 11-14 सेमी और व्यास 1.5 और 1.6 सेमी होता है. इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते है.

English Summary: Red okra developed in the country, farmers will benefit
Published on: 23 September 2019, 05:15 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now