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Updated on: 22 December, 2020 2:13 PM IST
Kisan Andolan

नए कृषि कानून (New Farm Law) के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन (KisanAndolan) का 26वां दिन है. जिस पर पूरे देश की नजर बनी हुई है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी किसानों से अपील की थी कि हर समस्या का हल बातचीत से निकल सकता है, कई बार सरकार और किसानों के बीच बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक इस समस्या का हल निकलकर सामने नहीं आया है. ऐसे में किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. इसी कड़ी में किसान आंदोलन की फंडिंग को लेकर भी कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.

किसान आंदोलन की फंडिंग को लेकर सवाल

अब सवाल उठने लगा है कि आखिर किसान आंदोलन (KisanAndolan) के लिए पैसा कहां से आ रहा है. इतनी संख्या में दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) पर किसान आंदोलन कर रहे हैं, तो आखिरकार उनके राशन पानी की जिम्मेदारी कौन उठा रहा है? यह सवाल कई लोगों के जेहन में उठ रहा है. मगर इस सवाल का जवाब किसानों के पास मौजूद है.

किसान आंदोलन का है बहीखाता

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो किसान आंदोलन (KisanAndolan)का बहीखाता है. साल में 2 बार हर गांव से चंदा इकट्ठा किया जाता है और हर 6 महीने में करीब ढाई लाख रुपए का चंदा इकट्ठा होता है. बताया जा रहा है कि इस आंदोलन को सबसे बड़ी मदद पंजाब के डेमोक्रेटिक टीचर्स फेडरेशन सेमिल रही है. किसानों को फेडरेशन द्वारा 10 लाख रुपए की सहायता मिली है.

बहीखाते में दर्ज हो रहा खर्च

दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों पर कहां और कितनी राशि खर्च हो रही है,इसका हर हिसाब बहीखाते में दर्ज किया जा रहा है. जानकारी मिली है कि दिल्ली में टिकरी बॉडर पर जमा किसानों का हिसाब मानसा की रहने वाली सुखविंदर कौर रख रहीं हैं, जो कि भारतीय किसान यूनियन की उपाध्यक्ष हैं. वह पंजाब-हरियाणा से आए तमाम लोगों से चंदा ले रहीं हैं और उसे बहीखाते में लिख रहीं हैं.

English Summary: Read from where is the Kisan Andolan getting funding
Published on: 22 December 2020, 02:16 PM IST

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