राजस्थान सरकार ने कृषि में बड़े बदलाव के लिए रोडमैप तैयार करना शुरू कर दिया है. यहां दो ऐसे फैसले हैं, जो इस क्षेत्र की पूरी काया पलट कर सकते हैं. सरकार 2022-23 में कृषि क्षेत्र के लिए अलग से बजट पेश करेगी. इतना ही नहीं, कृषि के लिए पर्याप्त बिजली की उपलब्धता, खरीद में पारदर्शिता और अच्छे वित्तीय प्रबंधन के लिए कृषि बिजली वितरण के लिए एक कंपनी का गठन किया जाएगा.
अलग बजट पेश कर वह यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि उनके लिए कृषि क्षेत्र और वहां के लोग कितने महत्वपूर्ण हैं. राजस्थान में 65 प्रतिशत लोगों की आजीविका कृषि पर निर्भर है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि अगले फरवरी-मार्च में किसानों के लिए अलग से बजट लाया जाएगा. जिसमें किसानों की प्राथमिकता क्या होगी, यह तय किया जाएगा. बता दें कि किसानों के लिए अलग से बिजली कंपनी भी बनेगी. कृषि के लिए बिजली उपलब्ध कराना कई राज्यों में एक राजनीतिक मुद्दा हमेशा बना रहता है.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अलग कृषि बजट और कृषि बिजली वितरण कंपनी बनाकर इस क्षेत्र की समस्याओं का समाधान आसानी से किया जा सकेगा.
राजस्थान बनेगा कृषि बजट पेश करने वाला दूसरा राज्य (Rajasthan will become the second state to present agriculture budget)
हालांकि, चुनावी वादे के अनुरूप डीएमके सरकार ने देश में पहली बार शनिवार, 14 अगस्त को तमिलनाडु विधानसभा में पहला विशेष कृषि बजट पेश किया. अब राजस्थान ऐसा करने वाला दूसरा राज्य होगा. किसान इन दिनों लगातार राजनीतिक बहस के केंद्र में हैं, ऐसे में कांग्रेस शासित राज्य का दांव दूसरे राज्यों पर भी ऐसा करने का दबाव बनाएगा.
राजस्थान में कृषि का योगदान (Contribution of Agriculture in Rajasthan)
क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े राज्य राजस्थान की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 25.56 प्रतिशत है. अकेले राजस्थान में देश के कुल बाजरा उत्पादन का 44.22 प्रतिशत हिस्सा है. इसी प्रकार कुल सरसों उत्पादन में 43.69 प्रतिशत, पौष्टिक अनाज के उत्पादन में 16.44 प्रतिशत और मूंगफली में 20.65 प्रतिशत है.
लघु किसानों की संख्या है ज्यादा (The number of small farmers is more)
राजस्थान में लगभग 60 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं. कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार राज्य में कुल जोत की संख्या 76.55 लाख है. जिनमें से केवल 3.59 लाख ही बड़े किसान हैं. जबकि 11.32 लाख मध्यम जोत वाले किसान हैं. यहां 14.16 लाख अर्ध-मध्यम किसान, 16.77 लाख छोटे किसान और 30.71 लाख सीमांत किसान हैं.
खेती के लिए चुनौतियां (Challenges for farming)
राजस्थान सरकार को अलग से कृषि बजट तैयार करते समय भविष्य में कृषि की स्थिति का ध्यान रखना होगा. विशेष रूप से ऐसी खेती को प्राथमिकता और प्रोत्साहन दिया जाए, जिसमें कम से कम पानी खर्च हो, नहीं तो आने वाली पीढ़ियां खेती कैसे करेंगी? क्योंकि राजस्थान में कुल सतही जल एक प्रतिशत ही है.
ऐसे में कृषि ऐसी हो, जिसमें बाढ़ सिंचाई के नाम पर ही हो. राजस्थान के जल संकट की स्थिति यह है कि यहां के 352 प्रखंडों में से 245 डार्क जोन में हैं. यह वहां की सरकार, किसानों और समाज के लिए एक चुनौती है.
कृषि को लेकर सरकार के प्रयास (Government efforts regarding agriculture)
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अशोक गहलोत ने किसानों के लिए पांच साल तक बिजली की दरें नहीं बढ़ाने का ऐलान किया है.
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राज्य सरकार ने दावा किया है कि 20 लाख 89 हजार किसानों का 14 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज माफ किया गया है.
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राजस्थान में ब्याज मुक्त फसल ऋण योजना 2012-13 से लागू है. चालू वित्त वर्ष में 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त कर्ज बांटने का लक्ष्य रखा गया है.
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छात्रों को कृषि, बागवानी और वानिकी में अध्ययन का विकल्प देने के लिए, 600 सरकारी स्कूलों में विज्ञान संकाय के साथ कृषि संकाय खोलने की घोषणा की गई है.