जहां केंद्र व राज्य सरकारें किसानों के हित के लिए काम कर रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान से एक दिल दहला देने वाली ख़बर आ रही है. किसानों की ख़ुशी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है. ऐसे में राजस्थान के किसानों (Rajasthan Farmers) को झटका लगा हुआ है. दरअसल, केंद्रीय कृषि मंत्री कैलाश चौधरी (Union Agriculture Minister Kailash Choudhary) ने जैसलमेर का दौरा किया है, जहां उन्होंने कृषि मेले का उद्घाटन किया. इस सम्मलेन में उन्होंने केंद्र द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में बताया और वहां आये सभी किसानों को योजना का लाभ कैसे लें इससे अवगत करवाया.
इसके साथ ही 17 दिन से चल रहे किसान धरने (Farmers Protest) का समर्थन किया. बता दें कि किसानों का समर्थन देने के लिए कृषि मंत्री कैलाश चौधरी भी जमीन बचाने के लिए धरने पर बैठे हुए हैं. इसके अलावा, किसान नेता सांग सिंह भाटी ने धरने पर बैठे विभिन्न मांगों को लेकर किसानों का समर्थन किया है. आइए बताते हैं कि राजस्थान के किसान आखिर क्यों धरने पर बैठे हैं?
राजस्थान के किसान क्यों हैं परेशान (Why are the farmers of Rajasthan worried)
एक तरफ जहां किसानों की आय को बढ़ाने (Double Income of Farmers) की बात की जाती है, तो वहीं किसानों को और भी ज़्यादा नीचे ढकेला जा रहा है. दरअसल, राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार (CM Ashok Gehlot) उपजाउ व अच्छी जमीनों को बहुत ही सस्ते दामों पर निजी कंपनियों को बेच (Selling Agriculture Lands) रही हैं. जिससे किसानों में काफी आक्रोश फैला हुआ है.
किसानों के बीच फैला आक्रोश (Anger spread among farmers)
कई किसान इस फैसले का विरोध कर रहे हैं जिसके बाद भी उनकी नहीं सुनी जा रही है. राजस्थान के किसानों का इस पर कहना है कि बॉर्डर के पास काफी बंजर जमीन (Barren Land) पड़ी हुई है लेकिन सरकार उसको बेचने की बजाय उपजाउ जमीनों को निचले दामों पर बेच रही है.
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कृषि भूमि लेने के लिए नियम (Rules for taking agricultural land)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों में कृषि भूमि की खरीद के लिए कोई प्रतिबंध नहीं (No restriction for purchase of agricultural land) है. इसलिए कोई भी कंपनी आसानी से यहां कृषि ज़मीन को खरीद सकती है.
राजस्थान सरकार पर उठी उंगली (Rajasthan government is under siege)
राजस्थान सरकार को लेकर वहां के लोग और अन्य सरकारें दांव कस रही है. इन सभी का यह कहना है कि गहलोत सरकार सिर्फ चुनावी वादें ही करती आयी है. चुनावों में किये गए वादों को उन्होंने आज तक पूरा नहीं किया है.