रबी सीज़न की प्रमुख फ़सलों में से एक है गेहूं. अगेती क़िस्म की गेहूं की बुवाई को सबसे अच्छा माना जाता है. इससे कृषक ज़्यादा से ज़्यादा और गुणवत्तापूर्ण पैदावार हासिल कर सकता है. गेहूं की अगेती बुवाई 15 नवम्बर तक कर लेनी चाहिए. इसी के मद्देनज़र हरियाणा के किसान भी गेहूं की अगेती बुवाई में 1 नवम्बर से जुट गए हैं. हम जानते हैं कि गेहूं की अगेती बुवाई के दौरान कृषक को डीएपी खाद की ज़रूरत होती है. अफ़्सोस इस बात का है कि अन्नदाता को खाद मिल नहीं पा रहा है और उसे मायूस होना पड़ रहा है.
किसान इफ़को और कृभको (IFFCO & Kribhco) के खाद बिक्री केंद्रों पर उम्मीद लिए आते हैं और ख़ाली हाथ व निराशा लिए जाते हैं. रेवाड़ी, गुरूग्राम, फ़रीदाबाद, पलवल, सोनीपत, नूंह और इसी तरह दक्षिणी हरियाणा के दूसरे और ज़िलों के किसान डीएपी नहीं मिल पाने से बेहद परेशान हैं. देखा जाए तो अगले दस दिन में बुवाई ज़ोर पकड़ लेगी, इसलिए किसानों को चिंता सता रही है.
डीएपी खाद न मिलने से क्या होगा-
अगर डीएपी खाद की किल्लत यूं ही जारी रहेगी तो खेत में नमी ख़त्म हो जाएगी. नमी कम होने या न होने से गेहूं सही से अंकुरित नहीं हो सकता है. इस हाल में किसानों को अपने खेतों में सिंचाई करनी पड़ेगी. जिससे किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ तो पड़ेगा ही साथ ही अभी जो गेहूं अगेता बोना है वो पछेता बन जाएगा. पछेता बुआई से गेहूं उत्पादन बेहद कम होता है. सरकार की ओर से ज़िलों को ज़रूरी मात्रा में डीएपी खाद की पूर्ति न करना भी डीएपी के न मिल पाने की बड़ी वजह है. मसलन फ़रीदाबाद ज़िले में कृषि और किसान कल्याण विभाग की ओर से सरकार से 4 हज़ार मिट्रिक टन डीएपी की मांग की गई है लेकिन अब तक ज़िले को केवल 1500 मिट्रिक टन की ही पूर्ति की गई है.
कृषि मंत्री ने कहा-
हरियाणा सरकार में कृषि मंत्री जेपी दलाल का कहना है कि प्रदेश में 39700 टन डीएपी मौजूद है. तीन दिनों में 17400 टन और डीएपी संबंधित लोगों के पास पहुंच जाएगी.
गेहूं की प्रमुख अगेती क़िस्में-
* डब्ल्यूएच 1105 (WH 1105)
गेहूं की इस क़िस्म की भी अगेती बुवाई की जाती है. इसका पौधा औसतन 97 सेंटीमीटर का होता है. ज़्यादा लंबा न होने की वजह से यह विपरीत परिस्थितियों में खड़ा रहता है. 157 दिन में पकने वाली यह क़िस्म प्रति एकड़ 23 से 24 क्विंटल की पैदावार देती है. इस किस्म में भी पीला रतुआ रोग लगने की संभावना नहीं रहती है. इस क़िस्म की बुवाई हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेष, मध्य प्रदेश और बिहार के किसान ज़्यादा करते हैं.
* एचडी 2967 (HD 2967)
गेहूं की यह काफ़ी लोकप्रिय क़िस्म है. गेहूं की इस क़िस्म की अगेती फ़सल ली जाती है. इसमें पीला रतुआ रोग लगने की संभावना बेहद कम होती है. इसके पौधे की लंबाई 101 सेंटीमीटर तक होती है. यह क़िस्म 150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसके पौधे की बढ़वार अधिक होने से इससे निकलने वाला भूसा भी ज़्यादा निकलता है. प्रति एकड़ इससे 22 से 23 क्विंटल तक की पैदावार होती है. हरियाणा और पंजाब के किसान इस क़िस्म की अधिक बुवाई करते हैं.
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इनके अलावा एचडी 3086 (HD 3086) और पीबीडब्ल्यू 550 (PBW 550) भी उन्नत क़िस्में हैं.