भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) हमेशा ही किसानों के हित के लिए एडवाइजरी जारी करता रहता है और इसी संदर्भ में IARI के कृषि वैज्ञानिकों ने मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को गेहूं की बुवाई (Wheat Farming) के लिए तैयार खेतों में उन्नत बीज और उर्वरक की व्यवस्था करने की सलाह दी है. उन्होंने बताया कि यदि पलेवा के बाद खेत में जई आ जाती है तो उसमें गेहूं की बुवाई आराम से की जा सकती है.
किन फसलों की करें बुवाई (Which crops to sow)
IARI के मुताबिक, किसान सरसों की फसल की बुवाई कर सकते है. सरसों की फसल (Mustard Farming) में समय पर रेयरफेक्शन और खरपतवार नियंत्रण (Rarefaction & Weed Control) का काम शुरू कर दें. साथ ही अभी का मौसम प्याज की बुवाई (Onion Farming) के लिए भी अनुकूल है.
बीज बोने से पहले कैप्टन 2.5 ग्राम प्रति किलो की दर से उपचारित कर लें. वहीं आलू की बुवाई (Potato Farming) के लिए भी नवंबर का मौसम अनुकूल है. इसलिए आलू की बुवाई के लिए किसान कुफरी बादशाह, कुफरी ज्योति, कुफरी अलंकार और कुफरी चंद्रमुखी किस्मों की बुवाई कर सकते हैं.
इसके अलावा, इस मौसम में किसान घास के मैदानों में गाजर की बुवाई (Carrot Farming) कर सकते हैं. और इसकी उन्नत किस्म पूसा रूधिर है. बुवाई से पहले, बीज को कैप्टन 2 ग्राम किलोग्राम बीज से उपचारित करें और फसलों पर देशी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक का छिड़काव जरूर करें.
किसानों को फसलों की निगरानी करनी जरुरी है क्योंकि इस मौसम में दीमक लगने की आशंका ज़्यादा रहती है.
IARI के अनुसार, इस सीजन में मूली, पालक, बथुआ, ब्रोकली, लेट फूलगोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, मेथी, फूलगोभी और सलगम की खेती की जा सकती है. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान रखना जरुरी है. बता दें कि इस मौसम में इन सभी फसलों की बुवाई से आप भविष्य में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
फसल को दीमक से कैसे बचाएं (How to protect crops from termites)
किसान फसल पैदा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन कई बार दीमक (termites) जैसे कीटों के प्रकोप से फसल बर्बाद हो जाती है. कई बार दीमक के प्रकोप से फसल को अच्छी उपज नहीं मिलती है.
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दीमक सरसों, चना, गेहूं और अन्य फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. और यदि फसल में दीमक लग जाये तो इसके लिए कुछ कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए.
खड़ी फसल हो तो 2 लीटर पानी में 2 लीटर क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी मिलाकर 20 किलो बालू में कुल 4 लीटर घोल मिलाएं. इसके बाद समान रूप से छिड़काव कर फसल की सिंचाई करें. इस प्रक्रिया से फसल में दीमक के प्रकोप को रोका जा सकता है.