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Updated on: 1 October, 2022 11:31 AM IST
पूसा की बासमती धान की नई किस्म

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा पूर्व में विकसित और प्रचलित धान की पूसा बासमती किस्मों में सुधार कर उन्हें रोग रोधी बनाकर विकसित किया गया है. इसी कड़ी में पूसा बासमती 1885, 1886 तथा 1847 उन्नत किस्में विकसित की गई हैं. यह जानकारी शुक्रवार को नई दिल्ली में पूसा संस्थान के लाइब्रेरी सभागार में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान  निदेशक डॉ अशोक कुमार सिंह ने दी.

इस दौरान उन्होंने कहा कि पूसा बासमती की इन किस्मों में झुलसा और झोंका रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित किया गया है.

किसान सम्पर्क यात्रा से मिली ये जानकारी  

 जानकारी देते हुए निदेशक डॉ अशोक कुमार ने बताया पंजाब व हरियाणा के किसानों के लिए बासमती सदैव ही एक अच्छी फसल साबित हो रही है. अब इसमें उन्नत किस्मे विकसित की गई है जिससे उम्मीद है यह किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी साबित होगी. इस कड़ी में पैदावार को लेकर संस्थान ने किसानों से संपर्क साधने के लिए 27 सितम्बर को “किसान संपर्क यात्रा” का आयोजन किया, इस यात्रा में दिल्ली, हरियाणा व पंजाब के किसानों से इस किस्म को लेकर बात की गई है. उन्होंने कहा कि इस संपर्क यात्रा में 3 दिन में लगातार लगभग 1500 किमी तक यात्रा तय की गई है. जिसमे दरियापुर, गुहान, जींद, संगरूर, भटिंडा, मुक्तसर साहिब, सिरसा, हिसार, पटियाला, व रोहतक में किसानों से मुलाकात की गई.

खर्चा हुआ कम, पैदावार भी अधिक

उन्होंने कहा कि इस दौरान पाया गया कि किसानों को इस किस्म से पैदावार में भी बढ़ोत्तरी मिली साथ ही कीटनाशक दवाओं का खर्च भी बच गया है, साथ भी इसके दाम भी अधिक मिल रहें है. किसान इस किस्म से बहुत खुश हैं.

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बीज आबंटन के लिए सुचारू व्यवस्था

जिसके लिए बीज आबंटन हेतु भी प्रबंध किया जा रहा है. प्रत्येक किसान इसका बीज अपने सहयोगी किसान के साथ साझा कर रहा है. साथ ही साथ इसके लिए कृषक सहभागिता बीज उत्पादक संगठन के तहत बीज उपलब्ध करवाया जा रहा है. इसके आलावा निजी बीज उत्पादक कम्पनी भी इस किस्म के बीज को तैयार कर रही हैं.

जानें उन्नत किस्मों के बारे में

आपको बता दें कि पूसा बासमती 1847 - लोकप्रिय बासमती चावल की किस्म, पूसा बासमती 1509 का एक बेहतर जीवाणु ब्लाइट और विस्फोट प्रतिरोधी संस्करण है. इस किस्म में बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोध के लिए दो जीन होते हैं, जिनमे XA 13 और XA 21 और विस्फोट प्रतिरोध PI 54 और PI2 शामिल है . यह किस्म 5.7 टन प्रति हेक्टेयर की औसत उपज के साथ एक प्रारंभिक परिपक्व और अर्ध-बौना बासमती चावल की किस्म है. यह किस्म 2021 में वाणिज्यिक खेती के लिए जारी की गई थी. पूसा बासमती 1509 की तुलना में पूसा बासमती 1847 ब्लास्ट रोग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है,  यह पूसा बासमती 1509 की तुलना में बैक्टीरियल ब्लाइट रोग के खिलाफ अत्यधिक प्रतिरोधी क्षमता रखती है.

पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1121 एक उन्नत किस्म है जिसमें बैक्टीरिया ब्लाइट और ब्लास्ट रोगों के लिए अंतर्निहित प्रतिरोधक क्षमता है. पूसा बासमती 1886 लोकप्रिय बासमती चावल की किस्म, पूसा बासमती 6 का एक उन्नत संस्करण है, जिसमें बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधक क्षमता के साथ तैयार किया गया है.

आपकों बता दें ये किस्म 145 दिनों में तैयार हो जाती है, यानि किसान मक्की की फसल के बाद भी इसकी रोपाई कर सकता है. साथ ही यह किस्म कम पानी वाले क्षेत्र में भी बेहतर उत्पादन देती है. जिससे न केवल किसानों की पैदावार अधिक होगी बल्कि धान की फसल पर होने वाला खर्च भी कम हो जाता है. डॉ अशोक ने बताया की धान की फसल पर किसान का कीटनाशक व् दवाइयों पर प्रति एकड़ 3 हजार रूपये का खर्च आता है, जोकि इस किस्म में पूरी तरह ख़त्म हो जायेगा. अब किसानो को कीटनाशकों व दवाइयों पर खर्च नहीं करना पड़ेगा.

English Summary: Pusa developed three advanced varieties of paddy
Published on: 01 October 2022, 11:44 AM IST

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