पिछले कई सालों से, हरियाणा सरकार धान फसल छोड़ने व भूजल बचाने के नाम पर 'मेरा पानी-मेरी विरासत योजना' के अंतर्गत, भारी भरकम सरकारी अनुदान से लाखों एकड़ भूमि पर किसानों से मक्के की बुवाई का दावा करती आ रही हैं जिसके लिए सरकार, अंतर्राष्ट्रीय बीज कंपनियों का महंगा बीज खरीदकर किसानों को मुफ्त बाटने व एम.एस.पी पर मक्का खरीदने का भी दावा करती है.
लेकिन तथ्यों के अनुसार, ये सरकारी अनुदान वाली मक्का फसल किसानों के खेतों मे ना जाकर, भ्रष्टाचार की सरकारी फाईलो तक ही सीमित रही हैं, क्योंकि आमतौर ना तो किसानों ने ये वर्षा ऋतु वाली मक्का फसल ऊगायी और ना ही इस मक्का फसल का लगभग 20 लाख क्विंटल उत्पादन हरियाणा की मंडियों मे एम.एस.पी पर अक्टूबर-दिसम्बर महीनों में कभी बिका, जो सरकारी योजना 'मेरा पानी- मेरी विरासत' के बडे घोटाले को उजागर करता है.
जबकि बिन सरकारी प्रोत्साहन, भूजल व लागत बचत के लिए पिछले वर्ष किसानों ने पंजाब में 16 लाख एकड़ व हरियाणा में 5.5 लाख एकड सीधी बीजाई धान तकनीक अपनायी जो आमतौर पर कामयाब साबित हुई इसलिए, सरकार को सरकारी अमले की अव्यहवारिक कृषि योजनाओं पर धन बर्बादी की बजाय, भूजल बचाने के लिए, 7000 रूपये प्रति एकड़ से सीधी बीजाई धान को प्रोत्साहन करना चाहिए और धान की रोपायी पर 1 जुलाई कानूनी प्रतिबंध लगाना चाहिए. ज़िससे प्रदेश का भूजल बचेगा व किसान खुशहाल होंगे और देश को खाद्य सुरक्षा व हजारों करोड रूपये का निर्यात मिलेगा.
लेखक: Dr VIRENDER SINGH LATHER,M:9416801607, 0184-2256211
Former Principal Scientist(Genetics & Cytogenetics), ICAR-Indian Agricultural Research Institute, New Delhi (India)
r/o Laal Kothi, Pritam Nagar, old GT Road, Karnal-132001(Haryana)