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Updated on: 29 March, 2019 3:42 PM IST

मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र में किसानों के लिए खेती काफी आसान होती जा रही है. दरअसल वहां के किसान अपनी खेती को स्मार्ट और सशक्त करने के लिए आमतौर पर उपयोग में लाई जाने वाली तकनीक के साथ डिजिटल तकनीक का अधिक सहारा ले रहे है. इसके साथ ही किसानों की उम्मीदें जागने लगी है. ऐसे में ही एक नाम है इंदौर के कालू जी हम्ड़. इनको अपनी खेती के मुताबिक उचित लाभ नहीं मिल रहा था जितने लाभ की उनको जरूरत थी. उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यही था कि वर्तमान खेती में किस तरह से लाभ कमाया जा सकता है. जिंदगी काफी हद तक इस तकनीक के सहारे चलने लगी है. वह अब आगे की खेती को सुधारने और ज्यादा लाभदायक बनाने के लिए  वैज्ञानिक तरीके से खेती को करने में लगे हुए है.

ग्रामोफोन की जानकारी के सहारे खेती

किसान कालू को इंदौर के कृषि केंद्रित स्टार्टअप ग्रामोफोन के बारे में जानकारी मिली है. यह ग्रामोफोन सभी किसानों को मोबाईल आधारित सभी तरह के सामाधान काफी बेहतर तरीके से बताता है. किसान कालू ह्मड़ को यह तकनीक काफी ज्यादा मददगार लगी और उनको इस तरह से अपनी खेती को लाभदायक बनाने का काफी बेहतर मौका मिल गया. कालू जी ने इसके माध्यम से एक मिस्ड कॉल के जरिए ग्रामोफोन से संपर्क किया और शुरूआत में एक ट्रायल के तौर पर ग्रामोफोन आधारित परामर्श सेवा ली जिसका उद्देश्य यह है कि इसके सहारे किसानों को बेहतर और सर्वोत्तम पैकेज और बेहतर खेती के तौर-तरीके प्रदान किए जा सके. साथ ही यह काफी अच्छी उपज देकर खेती को लाभ का बिजनेस बना सकें. इस ट्रायल में सफलता मिलने के बाद और पूरी प्रक्रिया को समझने के बाद ग्रामोफोन से जुड़कर आप परामर्श सेवाएं भी ले सकते है.

इस खेती में हुआ मुनाफा

किसान कालू जी ने वर्ष 2017 में 40 हजार रूपये की लागत से कुल 5 एकड़ में कपास की खेती में 45 से 50 क्विंटल की उपज हासिल की है. इसे उन्होंने 2.1 लाख रूपये में बेचा था लेकिन फिर वर्ष 2018 में उसी जमीन पर ग्रामोफोन की सलाह और सहायता 25 हजार की लागत से 80 क्विंटल कपास की खेती की है. इस तकनीक के सहारे किसान कालू जी हम्ड़ को काफी ज्यादा फायदा हुआ है और कृषि लागत से 15 हजार रूपये की भी बचत हुई है. इसकी बिक्री से प्राप्त हुई आय से दुगना लाभ भी हुआ है. कपास के नतीजों से प्रभावित होकर कालूजी ने ग्रमोफोन की सहायता लेकर एक एकड़ खेत में भिंडी बोई जिसकी भरपूर पैदावार हुई है. इसके साथ ही कालूजी डेढ़ लाख रूपये की भी भिंडी को बेच चुके है. भिंडी की भी बेहतर पैदावर हो रही है.

ग्रामोफोन आमतौर पर किसानों को मुख्य रूप से टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर के जरिए सहायता देते हैं, जहां पर लोग केवल एक मिस्ड कॉल को देकर ही उनसे सीधा संपर्क कर सकते है और जहां पर खेती से संबंधित और किसानों की सभी समस्याओं व चुनौतियों के समाधान को प्राप्त कर सकते है.

English Summary: Profitable profits by using digital technology
Published on: 29 March 2019, 03:47 PM IST

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