कृषि कानूनों पर किसानों के आंदोलन की आंच सत्ता के गलियारों तक पहुंच चुकी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकत है कि बजट सत्र के शुरू होते ही अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस मामले पर टिप्पणी करनी पड़ी. कृषि कानूनों पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नए कानूनों के आ जाने से किसी भी तरह से किसानों के पुराने अधिकार समाप्त नहीं होंगे.
सरकार ने बीज से लेकर बाजार तक में सुधार किया
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार यह स्पष्टता के साथ बताती है कि नए कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होंगे और किसानों को पहले से अधिक सुविधाएं मिलेंगी. आत्मनिर्भर भारत की बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 6 साल में हमारी सरकार ने बीज से लेकर बाजार तक कई सुधार किए हैं, जिससे सकारात्मक पहल हुई है. इतना ही नहीं सरकार ने स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट भी लागू किया है, जिससे किसानों को उपज का डेढ़ गुना एमएसपी मिलने का रास्ता खुल गया है.
सुप्रिम कोर्ट के फैसले का सम्मान
हालांकि, कानूनों को किसानों के पक्ष में बताने के बाद राष्ट्रपति ने फिर यह भी कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और वर्तमान में इन कानूनों सर्वोच्च अदालत के आदेश पर स्थगित करने को स्वीकार करते हैं.
भ्रम दूर करेगी सरकार
सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 'आज देश में 10 करोड़ से अधिक छोटे किसान हैं, जिनकी भलाई के लिए तीन महत्वपूर्ण कृषि विधेयक लाया गया है. लेकिन अभी समय है कि हमारी सरकार नए कानूनों के संदर्भ में फैलाए गए भ्रम को दूर करने की कोशिश करे.
26 जनवरी के दिन हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण
बता दें कि इससे पहले रामनाथ कोविंद ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के तहत हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए ट्वीट करते हुए लिखा था कि “पिछले दिनों हुआ तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए.”