आज यानी 9 अक्टूबर, 2023 के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व सीजीआईएआर जेंडर इम्पेक्ट प्लेटफार्म द्वारा ‘अनुसंधान से प्रभाव तक: न्यायसंगत और अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों की दिशा में बढ़ते कदम’ विषय पर आयोजित 4 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया गया. इस समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्य मंत्रीगण कैलाश चौधरी, आईसीएआर (ICAR) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, सीजीआईएआर के कार्यकारी प्रबंध निदेशक डॉ. एंड्रयू केम्पबेल, जेंडर प्लेटफार्म निदेशक डॉ. निकोलीन डे हान और अन्य कई अधिकारी मौजूद थे.
इस सम्मेलन में कृषि-खाद्य प्रणालियों को अधिक न्यायसंगत, समावेशी और न्यायसंगत बनाना पर जोर दिया गया है. आइए जानते हैं कि इस 4 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रपति मुर्मू और अन्य अतिथियों ने क्या कुछ कहा-
कृषि-खाद्य प्रणालियों को अधिक न्यायसंगत और समावेशी बनाएं
4 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन आज राष्ट्रपति मुर्मू के द्वारा किया गया. इस सम्मेलन में राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों व वैज्ञानिक समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि यदि कोई समाज न्याय रहित है, तो उसकी समृद्धि के बावजूद अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. वैश्विक स्तर पर हमने देखा है कि महिलाओं को लंबे समय तक कृषि-खाद्य प्रणालियों से बाहर रखा गया, जबकि वे कृषि संरचना के सबसे निचले पिरामिड का बड़ा हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें निर्णय लेने वालों की भूमिका निभाने के लिए सीढ़ी पर चढ़ने के अवसर से वंचित किया जाता है.
राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक महिलाएं अबला नहीं, बल्कि सबला हैं, यानी असहाय नहीं, बल्कि शक्तिशाली हैं. हमें न केवल महिला विकास बल्कि महिला नेतृत्व वाले विकास की जरूरत है. आगे उन्होंने कहा कि हमारी कृषि-खाद्य प्रणालियों को अधिक न्यायसंगत, समावेशी और न्यायसंगत बनाना न केवल वांछनीय है बल्कि धरा और मानव जाति की भलाई के लिए महत्वपूर्ण भी है.
इसके अलावा राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन एक अस्तित्वगत खतरा है, हमें अभी से तेजी से कार्रवाई करने की जरूरत है. जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, बर्फ पिघलने और प्रजातियों के विलुप्त होने से खाद्य उत्पादन बाधित हो रहा है और कृषि-खाद्य चक्र भी टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल नहीं है. कृषि-खाद्य प्रणालियों को दुष्चक्र से बाहर निकालने के लिए चक्रव्यूह तोड़ने की जरूरत है. उन्होंने जैव विविधता बढ़ाने व पारिस्थितिकी तंत्र बहाल करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि सबके लिए अधिक समृद्ध व न्यायसंगत भविष्य के साथ कृषि-खाद्य प्रणालियों के माध्यम से खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकें. उन्होंने कहा कि कृषि-खाद्य प्रणालियों को कैसे बदला जाएं, इसकी एक व्यवस्थित समझ की आवश्यकता है. कृषि-खाद्य प्रणालियां लचीली व चुस्त होनी चाहिए, ताकि वे सभी के लिए पौष्टिक व स्वस्थ आहार को अधिक सुलभ, उपलब्ध और किफायती बनाने के लिए झटको का सामना कर सकें.
खेती-किसानी के विकास में महिलाओं का अहम योगदान
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि हमारे पास उत्कृष्ट अनुसंधान, विकास व नवाचार में निवेश करने व इसकी सफलता की लंबी विरासत है. भारतीय कृषि में सफलता में मेहनतकश किसानों की अहम भूमिका है. देश में 86 प्रतिशत छोटे-मझौले किसान हैं, जिन्होंने चुनौतियों का सामना करते हुए राष्ट्र का भरण-पोषण करने में सतत् योगदान दिया व अन्य देशों को भी आपूर्ति कर पाए. चुनौतियों के बावजूद, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि में नए आयाम स्थापित हुए हैं, जिनका उद्देश्य छोटे किसानों का कल्याण है. नीतियां-नवाचार सफलतापूर्वक लागू किए गए हैं.
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आईसीएआर द्वारा विकसित जलवायु अनुकूल किस्मों के साथ ही भारत कृषि नवाचार व गहन अनुसंधान के माध्यम से विश्व में नालेज पार्टनर व रोल मॉडल बन रहा है. उन्होंने कहा कि देश में खेती-किसानी के विकास में महिलाओं का अहम योगदान रहा है, वहीं युवा भी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वस्थ व किफायती भोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान व नवाचार में निवेश जारी रखने की जरूरत है, वहीं जलवायु परिवर्तन और अन्य खाद्य प्रणालियों के तनावों की चुनौतियों से भी मिलकर निपटने की जरूरत है. यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि समग्र रूप से खाद्य प्रणालियों की उत्पादकता व अनुकूलन बढ़ाने के लिए नवाचारों-नीतियों में लैंगिक समानता व सामाजिक समावेशन मजबूत करने हेतु वैश्विक लक्ष्यों को एकीकृत करें.